विज्ञान/प्रौद्योगिकी: ईओएस-08 के सफल प्रक्षेपण, इसरो की मेहनत, प्रतिबद्धता पर गर्व ओम बिरला

ईओएस-08 के सफल प्रक्षेपण, इसरो की मेहनत, प्रतिबद्धता पर गर्व  ओम बिरला
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को एसएसएलवी-डी 3 के जरिये अर्थ ऑब्जरवेशन उपग्रह ईओएस-08 का सफल प्रक्षेपण किया। इसरो ने इसके अलावा प्रक्षेपण यान ने एक निजी स्टार्टअप कंपनी के एसआर-0 डेमोसैट उपग्रह को भी उसकी निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।

नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को एसएसएलवी-डी 3 के जरिये अर्थ ऑब्जरवेशन उपग्रह ईओएस-08 का सफल प्रक्षेपण किया। इसरो ने इसके अलावा प्रक्षेपण यान ने एक निजी स्टार्टअप कंपनी के एसआर-0 डेमोसैट उपग्रह को भी उसकी निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इस उपलब्धि के लिए इसरो को बधाई दी है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "एसएसएलवी-डी 3/ईओएस-08 मिशन के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को हार्दिक बधाई। तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान का त्रुटिहीन निष्पादन न केवल इसरो के तकनीकी कौशल को दर्शाता है, बल्कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमता को भी रेखांकित करता है। इसरो की पूरी टीम की कड़ी मेहनत और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता पर बेहद गर्व है।"

इसरो का एसएसएलवी-डी3/ईओएस-08 मिशन इस साल का तीसरा मिशन है। पहले यह प्रक्षेपण 15 अगस्त को किया जाना था, लेकिन बाद में इसे एक दिन बढ़ा दिया गया। इससे पहले जनवरी में पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसैट और फरवरी में जीएसएलवी-एफ14/इनसैट-3डीएस का सफल प्रक्षेपण किया गया था।

एसएसएलवी रॉकेट मिनी, माइक्रो या नैनो उपग्रहों (10 से 500 किलोग्राम द्रव्यमान) को 500 किमी की कक्षा में लॉन्च करने में सक्षम है। इसके तीन चरण ठोस ईंधन से संचालित होते हैं, जबकि अंतिम वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (वीटीएम) में तरल ईंधन का इस्तेमाल होता है।

एसआर-0 चेन्नई स्थित अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्टअप स्पेस रिक्शा का पहला उपग्रह है।

स्पेस रिक्शा की सह-संस्थापक और स्पेस किड्ज इंडिया की संस्थापक-सीईओ श्रीमती केसन ने कहा कि "हम व्यावसायिक आधार पर छह और उपग्रह बनाएंगे"।

इस बीच, इसरो ने कहा कि ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में माइक्रो सैटेलाइट को डिजाइन करना और विकसित करना शामिल है। साथ ही माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ अनुरूप पेलोड उपकरण बनाना और भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को भी शामिल करना है।

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Created On :   16 Aug 2024 5:43 PM IST

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