राष्ट्रीय: दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर पर एनसीआरटीसी ने 169 ट्रैक किलोमीटर प्रीकास्ट स्लैब ट्रैक इंस्टॉलेशन पूरा किया

दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर पर एनसीआरटीसी ने 169 ट्रैक किलोमीटर प्रीकास्ट स्लैब ट्रैक इंस्टॉलेशन पूरा किया
दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर पर एनसीआरटीसी ने 169 ट्रैक किलोमीटर (टीकेएम) प्रीकास्ट स्लैब ट्रैक का इंस्टॉलेशन तय समयसीमा के भीतर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह भारत का पहला ऐसा अर्ध-हाई स्पीड रीजनल रेल प्रोजेक्ट है, जिसमें 47,000 उच्च गुणवत्ता वाले प्रीकास्ट स्लैब्स का उत्पादन और इंस्टॉलेशन किया गया है। ये स्लैब्स एलिवेटेड वायाडक्ट और अंडरग्राउंड सेक्शनों में मुख्य लाइन पर लगाए गए हैं।

नई दिल्ली, 12 मई (आईएएनएस)। दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर पर एनसीआरटीसी ने 169 ट्रैक किलोमीटर (टीकेएम) प्रीकास्ट स्लैब ट्रैक का इंस्टॉलेशन तय समयसीमा के भीतर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह भारत का पहला ऐसा अर्ध-हाई स्पीड रीजनल रेल प्रोजेक्ट है, जिसमें 47,000 उच्च गुणवत्ता वाले प्रीकास्ट स्लैब्स का उत्पादन और इंस्टॉलेशन किया गया है। ये स्लैब्स एलिवेटेड वायाडक्ट और अंडरग्राउंड सेक्शनों में मुख्य लाइन पर लगाए गए हैं।

इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि पहली बार देश में प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब्स पर टर्नआउटस की अवधारणा को साकार किया गया। कुल 135 टर्नआउट्स विभिन्न 8 कॉन्फिगरेशनों में लगाए गए, जिनमें प्रत्येक में 15 स्लैब्स शामिल थे। कुल मिलाकर 140 प्रकार के स्लैब्स इस प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे, जिनका उत्पादन, इंस्टॉलेशन और लॉजिस्टिक्स का समन्वय एक बड़ी चुनौती था। इस ट्रैक पर पहली बार भारत में 180 किमी प्रति घंटा की स्पीड से ट्रेनों का ट्रायल और 160 किमी प्रति घंटा की ऑपरेशनल स्पीड से संचालन शुरू हुआ है।

परियोजना की योजना, डिजाइन, खरीद, इंस्टॉलेशन से लेकर कमीशनिंग तक में शामिल रहना एक गौरवपूर्ण अनुभव रहा। ट्रैक किसी भी हाई-स्पीड नेटवर्क का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, क्योंकि इसमें कोई भी रिडंडेंसी नहीं होती। ऐसे में सही सिस्टम का चयन और उसकी इंस्टॉलेशन प्रक्रिया की सटीक जानकारी बेहद आवश्यक होती है।

एनसीआरटीसी ने प्रोजेक्ट की जरूरतों के अनुसार सबसे उपयुक्त सिस्टम का चयन किया और सिस्टम प्रदाता के सहयोग से डिजाइन, ड्रॉइंग, उपकरण चयन, सर्वे, ट्रेनिंग और इंस्टॉलेशन तक तकनीकी सहयोग प्राप्त किया। इस उपलब्धि के पीछे एनसीआरटीसी ट्रैक टीम, जनरल कंसल्टेंट, पॉर्र, सप्लायर्स, डीडीसी और एलएंडटी टीम का संयुक्त प्रयास रहा। इसमें कोई क्लाइंट, इंजीनियर या ठेकेदार नहीं था, बल्कि सभी ने मिलकर एक ट्रैक टीम के रूप में कार्य किया। अब तक 55 किमी का सेक्शन चालू हो चुका है और शेष हिस्से में ट्रायल जारी है। पूरी परियोजना जून 2025 तक यानी 6 वर्षों के भीतर कमीशन होने की दिशा में अग्रसर है। यह न केवल एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि देश की रेलवे क्षमताओं को एक नया आयाम देने वाला मील का पत्थर भी है।

--आईएएनएस

पीकेटी/एएस

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Created On :   12 May 2025 2:55 PM IST

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