बिहार चुनाव 2020 में माकपा को मिली पहली जीत, मांझी में जातिगत समीकरण और भौगोलिक चुनौती प्रमुख मुद्दे

बिहार चुनाव  2020 में माकपा को मिली पहली जीत, मांझी में जातिगत समीकरण और भौगोलिक चुनौती प्रमुख मुद्दे
बिहार के सारण जिले में स्थित मांझी विधानसभा क्षेत्र, महाराजगंज लोकसभा सीट का हिस्सा है। यह क्षेत्र गंगा और घाघरा नदियों के संगम पर स्थित है, जो इसे भौगोलिक रूप से विशिष्ट बनाता है। मांझी की भूमि बेहद उपजाऊ है, लेकिन बाढ़ की आशंका हमेशा बनी रहती है। कृषि यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जिसमें धान, दालें और सरसों प्रमुख फसलें हैं।

पटना, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के सारण जिले में स्थित मांझी विधानसभा क्षेत्र, महाराजगंज लोकसभा सीट का हिस्सा है। यह क्षेत्र गंगा और घाघरा नदियों के संगम पर स्थित है, जो इसे भौगोलिक रूप से विशिष्ट बनाता है। मांझी की भूमि बेहद उपजाऊ है, लेकिन बाढ़ की आशंका हमेशा बनी रहती है। कृषि यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जिसमें धान, दालें और सरसों प्रमुख फसलें हैं।

पूरा निर्वाचन क्षेत्र ग्रामीण है और इसमें कोई शहरी जनसंख्या शामिल नहीं है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। मांझी प्रखंड के गोबरही गांव में स्थित शिव शक्ति धाम क्षेत्रवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। विशेषकर सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

मांझी विधानसभा क्षेत्र जातिगत रूप से विविधतापूर्ण है। राजपूत समुदाय यहां सबसे बड़ा मतदाता समूह है, जिसके बाद मुसलमान, यादव, भूमिहार, कुर्मी और ब्राह्मण आते हैं। अनुसूचित जातियां भी मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा हैं। इसके अलावा कुशवाहा और कायस्थ जैसे अन्य सामाजिक समूहों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

1951 में गठन के बाद मांझी विधानसभा क्षेत्र ने बिहार की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के गिरीश तिवारी इस सीट के पहले विधायक बने और लगातार तीन बार चुने गए। उनके बाद रामेश्वर दत्त शर्मा जैसे नेता भी कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते रहे।

समय के साथ जनता दल, जेडीयू और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी इस सीट पर जीत दर्ज की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मतदाता लगातार राजनीतिक विकल्पों की तलाश में रहे हैं।

2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विजय शंकर दूबे ने लोजपा के केशव सिंह को हराकर जीत दर्ज की। वहीं, 2020 के चुनाव में मांझी विधानसभा क्षेत्र ने एक नया मोड़ लिया जब माकपा के सत्येंद्र यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार राणा प्रताप सिंह को हराकर पहली बार यह सीट वामपंथी दल के खाते में डाली। उन्हें राजद-कांग्रेस-वाम गठबंधन का समर्थन प्राप्त था, और सीट बंटवारे के तहत यह सीट माकपा को दी गई थी।

2008 में हुए परिसीमन के बाद मांझी विधानसभा क्षेत्र का नया स्वरूप तय किया गया। इसमें जलालपुर, मांझी और बनिया ब्लॉक के कई पंचायत क्षेत्रों को शामिल किया गया, जिनमें सरबिसरया, सीतलपुर, ताजपुर, आदर्श ग्राम बरेजा, मदन साथ, घोरहट, डुमारी, जैतपुर, इनायतपुर, नासिरा, बलेशरा, दाउदपुर, लेजुआर, बंगरा, सोनबरसा, मरहान, मांझी पूर्वी, मांझी पश्चिमी, कौरू-धौरू, करही, मानिकपुरा और लौवा कला शामिल हैं।

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Created On :   10 Oct 2025 6:18 PM IST

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