राष्ट्रीय: मिजोरम संयुक्त नागरिक समाज ने वन संरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 को वापस लेने की मांग की

आइजोल, 11 सितंबर (आईएएनएस)। मिजोरम संयुक्त नागरिक समाज (जेसीएसएम) ने वन संरक्षण संशोधन अधिनियम, 2023 के खिलाफ विरोध दिवस मनाया। नागरिक समाज ने इस संशोधन अधिनियम को वापस लेने की मांग की।
मिजोरम संयुक्त नागरिक समाज (जेसीएसएम) विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों और विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा समर्थित है। यह कदम हाल ही में मिजोरम विधानसभा द्वारा इस अधिनियम को पारित किए जाने के बाद उठाया गया है, जबकि इसी विधानसभा ने 22 अगस्त, 2023 को राज्य सरकार के विरोध को व्यक्त करते हुए इस अधिनियम को पहले ही अस्वीकार कर दिया था।
इसके बावजूद, नागरिक समाज के नेता और विधायक इस विवादास्पद अधिनियम को पूरी तरह से वापस लेने की मांग पर अड़े हैं।
जेसीएसएम के संयोजक डॉ. लालबियाकमाविया नेगेंटे ने याद दिलाया कि मूल वन संरक्षण अधिनियम, 1980 भारत के वनों की रक्षा और सतत उपयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक कानून था। उन्होंने तर्क दिया कि 2023 के संशोधन इन सुरक्षाओं को कमजोर करते हैं, जिससे केंद्र सरकार पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में भी बड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ा सकती है।
उठाई गई प्रमुख चिंताओं में से एक अधिनियम की धारा 4(2)(सी) थी, जो केंद्र को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के 100 किलोमीटर के भीतर राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं को लागू करने की अनुमति देती है। डॉ. नेगेंटे ने कहा कि यह धारा म्यांमार और बांग्लादेश के साथ हमारी सीमाओं को देखते हुए, पूरे मिजोरम को वन भूमि उपयोग के लिए केंद्र के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रखती है।
उन्होंने चेतावनी दी कि इस कदम से राज्य की स्वायत्तता कम हो सकती है और इसके वन खतरे में पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 3सी के तहत, अधिनियम केंद्र को राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए वन भूमि का उपयोग करने का अधिकार देता है। कार्यकर्ताओं को डर है कि यह संविधान के अनुच्छेद 371(जी) को रद्द कर सकता है, जो मिजोरम की पारंपरिक प्रथाओं और उसकी भूमि एवं संसाधनों पर नियंत्रण की रक्षा करता है।
नागरिक समाज के नेताओं ने कहा कि यह अधिनियम "एक सुरक्षात्मक कानून नहीं, बल्कि एक खतरा है।" उनका दावा है कि यह मिजोरम के पर्यावरण और उसके संवैधानिक अधिकारों, दोनों को कमजोर करता है।
मिजोरम के विधायकों, खासकर विपक्षी दलों के विधायकों ने, दलगत राजनीति से ऊपर उठकर, लोगों की भावनाओं का पुरजोर समर्थन किया है। उन्होंने केंद्र से एफसीएए, 2023 को वापस लेने का एकजुट आह्वान किया और मिजोरम की भूमि और वन अधिकारों की रक्षा के लिए “पूरी दृढ़ता के साथ लड़ने” की कसम खाई।
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Created On :   11 Sept 2025 5:53 PM IST