राजनीति: बिहार विधानसभा चुनाव कोचाधामन जहां उर्दू और बांग्ला बोलने वालों की आबादी अच्छी-खासी, अर्थव्यवस्था कृषि पर टिकी

पटना, 8 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के किशनगंज जिले के अंतर्गत आने वाली कोचाधामन विधानसभा सीट, जो भारत-बांग्लादेश सीमा और पश्चिम बंगाल के करीब है, हर बार सियासी हलचल का केंद्र बनती है। 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई यह मुस्लिम बहुल सीट अपनी सांस्कृतिक, भौगोलिक और आर्थिक खासियतों के लिए जानी जाती है। महानंदा और दाहुक नदियों से घिरा यह क्षेत्र बाढ़, पलायन और पिछड़ेपन की चुनौतियों से जूझता है, फिर भी इसकी सियासत में मुस्लिम मतदाताओं भूमिका निर्णायक होती है।
कोचाधामन की सियासी जंग में इस बार कौन बाजी मारेगा? क्या इतिहास खुद को दोहराएगा या नया चेहरा उभरेगा? आइए, इस सीट के समीकरण, इतिहास और 2025 में जनता के रुख को समझते हैं।
कोचाधामन सीट किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत-बांग्लादेश कॉरिडोर की सीमा से सटी है। कोचाधामन प्रखंड और किशनगंज ब्लॉक की 6 पंचायतों को मिलाकर बनी यह सीट सांस्कृतिक व भाषाई दृष्टि से भी खास है—यहां उर्दू और बांग्ला बोलने वालों की बड़ी आबादी है, साथ ही सीमा पार व आसपास के जिलों से प्रवासन भी होता रहा है। सीमांचल के मैदानी क्षेत्र में स्थित यह इलाका महानंदा और दाहुक नदियों से घिरा है, जहां अक्सर मौसमी बाढ़ कहर बरपाती है। यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर टिकी है, जिसमें धान और जूट प्रमुख फसलें हैं।
स्थानीय व्यापारिक केंद्र बहादुरगंज और किशनगंज इसे सहारा देते हैं, लेकिन औद्योगिक विकास बेहद सीमित है। विधानसभा क्षेत्र की 80% आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है। बाढ़, पलायन और पिछड़ेपन जैसी समस्याएं अब भी जस की तस हैं। अगर 2025 में विकास के मुद्दे मुस्लिम वोट बैंक के साथ जुड़ गए, तो समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।
इस क्षेत्र की पहचान बड़े जान गांव के प्राचीन सूर्य मंदिर से भी है, जिसकी खोज 1987 में हुई थी। सात घोड़ों पर सवार सूर्य की 5.5 फीट ऊंची बेसाल्ट पत्थर की मूर्ति, गणेश आकृतियां और तराशी हुई दीवारें इसे पाल वंश से जोड़ती हैं। कनकई नदी को यहां पुराणों में वर्णित कंकदा नदी माना जाता है। हालांकि, इस ऐतिहासिक धरोहर का अब तक कोई औपचारिक संरक्षण नहीं हुआ है।
सीट के गठन के बाद से यहां सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवार ही जीतते आए हैं। 2010 के चुनाव में राजद के टिकट पर अख्तरुल ईमान ने जीत दर्ज की। 2015 के चुनाव में मुजाहिद आलम ने जदयू के टिकट पर जीत दर्ज की। 2020 के चुनाव में मुहम्मद इजहार असफी ने ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के टिकट पर जीत दर्ज की। हालांकि, 2022 में वह राजद में शामिल हो गए।
अब तक मुस्लिम आबादी का वोट सीट के नतीजे तय करता आया है। 2015 में राजद और जदयू के गठबंधन ने जीत दिलाई थी, जबकि 2020 में अलग-अलग चुनाव लड़ने के कारण मुस्लिम वोटों में बंटवारा हुआ और एआईएमआईएम को फायदा मिला।
2024 के आंकड़ों के अनुसार (ईसीआई), कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्या 4,35,513 है, जिनमें 2,21,452 पुरुष और 2,14,061 महिलाएं शामिल हैं। इस सीट पर कुल 2,68,648 मतदाता हैं, जिनमें 1,39,657 पुरुष, 1,28,980 महिलाएं और 11 थर्ड जेंडर हैं।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|
Created On :   8 Aug 2025 12:59 PM IST