स्मृति शेष राजनीति के मौसम वैज्ञानिक, 6 प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्री रहे रामविलास पासवान

स्मृति शेष राजनीति के मौसम वैज्ञानिक, 6 प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्री रहे रामविलास पासवान
रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था। वे बिहार की राजनीति के दिग्गज नेता थे। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने उन्हें यह उपाधि दी थी। केंद्र में सरकार किसी भी पार्टी या गठबंधन की हो, लेकिन रामविलास पासवान उस सरकार के साथ सांठगांठ कर लेते थे। आइए रामविलास की पुण्यतिथि पर उनके राजनीतिक जीवन के बारे में जानते हैं।

पटना, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था। वे बिहार की राजनीति के दिग्गज नेता थे। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने उन्हें यह उपाधि दी थी। केंद्र में सरकार किसी भी पार्टी या गठबंधन की हो, लेकिन रामविलास पासवान उस सरकार के साथ सांठगांठ कर लेते थे। आइए रामविलास की पुण्यतिथि पर उनके राजनीतिक जीवन के बारे में जानते हैं।

बिहार के खगड़िया में रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को हुआ था। दलित परिवार में जन्मे रामविलास ने खगड़िया के कोसी कॉलेज से कानून की पढ़ाई की थी। इसके बाद उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और कला में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की। उन्होंने 8 अक्टूबर 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया था।

राजनीति में आने से पहले रामविलास पासवान बिहार पुलिस में डीएसपी बने थे। वे साल 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में एक आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधानसभा के लिए चुने गए थे। साल 1974 में उन्होंने लोकदल के महासचिव पद की जिम्मेदारी संभाली। एक साल के बाद साल 1975 में 21 महीने के इमरजेंसी के दौरान रामविलास पासवान को गिरफ्तार कर लिया गया था और वे इमरजेंसी हटने तक जेल में रहे।

साल 1977 में जेल से रिहाई के बाद रामविलास पासवान ने जनता पार्टी के टिकट पर हाजीपुर से चुनाव लड़ा और जीत प्राप्त की। उस वक्त उन्होंने सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया था। साल 1980 और 1984 में उन्होंने फिर हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी।

रामविलास पासवान ने साल 1983 में 'दलित सेना' संगठन बनाया था। इस संगठन का मकसद दलित समुदाय का कल्याण करना है। बाद में इस संगठन का नाम बदलकर अनुसूचित जाति सेना कर दिया गया। जनता दल से अलग होकर रामविलास ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की स्थापना की थी।

लोजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान की सिर्फ बिहार में ही नहीं, बल्कि केंद्र की राजनीति में अच्छी पकड़ थी। वे ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने देश के 6 प्रधानमंत्रियों के साथ केंद्रीय मंत्री के रूप में काम किया। साल 2005 में राबड़ी देवी बिहार की सीएम थीं। फरवरी-मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन फिर भी सत्ता से दूर रह गई। इस चुनाव में लोजपा किंग मेकर बनकर उभरी थी। बिहार में ऐसी स्थिति थी कि लोजपा जिसे सपोर्ट करेगी, सरकार उसी की ही बनेगी।

रामविलास पासवान ने लालू प्रसाद के सामने एक शर्त रखी थी। उन्होंने कहा था कि अगर वे मुस्लिमों के सच्चे हितैषी हैं तो किसी मुस्लिम को राज्य की कमान सौंप दें। ऐसी स्थिति में लोजपा सरकार को समर्थन देगी, लेकिन लालू यादव सत्ता की कुर्सी अपने परिवार से बाहर नहीं जाने देना चाहते थे। ये राजनीतिक गतिविधि उस वक्त हो रही थी, जब लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान दोनों ही यूपीए सरकार में मंत्री थे।

अंत में न तो लालू प्रसाद को सत्ता मिली और न ही रामविलास पासवान को। पार्टी को टूटता देखकर रामविलास पासवान ने राज्यपाल से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया।

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Created On :   7 Oct 2025 6:02 PM IST

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