नार्को-टेरर फंडिंग ईडी ने जम्मू-कश्मीर में 6 ठिकानों पर छापे मारे, पूर्व मंत्री बाबू सिंह के घर पर दबिश
जम्मू, 6 नवंबर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नार्को-टेरर फंडिंग के गंभीर मामले में जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया। जम्मू उप-क्षेत्रीय कार्यालय की टीम ने जम्मू क्षेत्र (2 परिसर) और कश्मीर घाटी (4 परिसर) सहित कुल 6 ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में कठुआ जिले के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री जतिंदर सिंह उर्फ बाबू सिंह के आवासीय परिसर को भी निशाना बनाया गया।
ईडी का दावा है कि यह नेटवर्क पाकिस्तान से तस्करी की गई हेरोइन की बिक्री से अर्जित धन को आतंकी संगठनों तक पहुंचाने का जिम्मेदार है। जांच जारी है।
पूरे मामले की शुरुआत तब हुई, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 30 मार्च 2022 को मोहम्मद शरीफ शाह नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। शरीफ कश्मीर से जम्मू आते समय हवाला के जरिए 6.9 लाख रुपए ले जा रहा था, जो पूर्व मंत्री जतिंदर सिंह उर्फ बाबू सिंह को सौंपने थे। ईडी के अनुसार, यह राशि जम्मू में अलगाववादी और उग्रवादी समूहों को विनाशकारी गतिविधियों के लिए उपलब्ध कराने का इरादा था।
शरीफ ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह बाबू सिंह की 'नेचर मैनकाइंड फ्रेंडली ग्लोबल पार्टी' के सेक्रेटरी के तौर पर काम कर रहा था। यह पार्टी कथित रूप से पाकिस्तान प्रायोजित तत्वों से फंडिंग लेती थी। आगे की जांच में एक व्यापक साजिश का पर्दाफाश हुआ। आरोपी सैफ-उद-दीन, फारूक अहमद नाइकू, मुबाशिर मुश्ताक फाफू और अन्य के साथ मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह संचालित हो रहा था। इसमें पाकिस्तान स्थित गुर्गे शामिल थे, जो नार्को-टेरर मॉड्यूल चला रहे थे।
बैंक खातों की जांच से खुलासा हुआ कि फारूक अहमद नाइकू ने 2021-22 के दौरान पाकिस्तान से तस्करी की गई हेरोइन की बिक्री से 2 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की। यह 'अपराध की आय' श्रीनगर के स्थानीय बैंक खातों में जमा की गई, फिर दुबई में कार्यरत भारतीय नागरिकों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई। दुबई को मुख्य हब बनाकर धन की उत्पत्ति छिपाई गई, और अंततः यह पाकिस्तान से सक्रिय हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों तक पहुंचाया गया। ईडी ने कहा कि यह फंडिंग लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पार करके हथियार, विस्फोटक और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए इस्तेमाल हो रही थी।
बाबू सिंह, जो 2002-2005 में पीडीपी-कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और 2004 में कठुआ से स्वतंत्र विधायक चुने गए, पर पहले भी राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने चार्जशीट दाखिल की थी। 2022 में शरीफ की गिरफ्तारी के बाद बाबू सिंह फरार हो गए थे, लेकिन बाद में पकड़े गए। ईडी की ताजा कार्रवाई एसआईए की पुरानी जांच को मजबूत करने वाली है। छापों में दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, बैंक रिकॉर्ड और संदिग्ध नकदी जब्त की गई। बाबू सिंह के घर से महत्वपूर्ण सबूत मिलने की संभावना है, जहां से पाकिस्तानी कनेक्शन की पुष्टि हो सकती है।
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Created On :   6 Nov 2025 1:57 PM IST












