राजनीति: 13,991 दिव्यांग बच्चों के उम्मीद की किरण बनी योगी सरकार, एस्कॉर्ट अलाउंस योजना से देगी शैक्षिक मजबूती

जब एक दिव्यांग बच्चा अकेले स्कूल नहीं जा सकता, तब शिक्षा महज किताबों की बातें रह जाती है। लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की समग्र शिक्षा योजना इस मौन पीड़ा को समझती है। अब सरकार ने वर्ष 2025-26 में परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों के कक्षा-1 से 8 तक के 13,991 गंभीर और बहु-दिव्यांग छात्र-छात्राओं को एस्कॉर्ट अलाउंस योजना के अंतर्गत 839.46 लाख रुपए की सहायता देने का फैसला लिया है और उनमें शिक्षा के प्रति भरोसा को एक बार फिर लौटाने का काम किया है। सरकार ने यह भी जताने का प्रयास किया है कि शिक्षा सबकी और सबके लिए है।

लखनऊ, 29 जुलाई (आईएएनएस)। जब एक दिव्यांग बच्चा अकेले स्कूल नहीं जा सकता, तब शिक्षा महज किताबों की बातें रह जाती है। लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की समग्र शिक्षा योजना इस मौन पीड़ा को समझती है। अब सरकार ने वर्ष 2025-26 में परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों के कक्षा-1 से 8 तक के 13,991 गंभीर और बहु-दिव्यांग छात्र-छात्राओं को एस्कॉर्ट अलाउंस योजना के अंतर्गत 839.46 लाख रुपए की सहायता देने का फैसला लिया है और उनमें शिक्षा के प्रति भरोसा को एक बार फिर लौटाने का काम किया है। सरकार ने यह भी जताने का प्रयास किया है कि शिक्षा सबकी और सबके लिए है।

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि यह योजना, आर्थिक सहायता तो है ही, एक सोच भी है। ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों में दया, दृष्टि और दृष्टिकोण तीनों का समन्वय है। समावेशी शिक्षा के इस मॉडल में तकनीक और संवेदना साथ‑साथ चल रही हैं। क्योंकि शिक्षा तब ही सार्थक है, जब वह हर बच्चे तक पहुंचे। चाहे वह चल सके या न चल सके।

एस्कॉर्ट अलाउंस की इस योजना के तहत दृष्टिहीन, बौद्धिक रूप से दिव्यांग, सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित और जेई/एईएस प्रभावित बच्चों को 600 रुपए प्रतिमाह की दर से 10 माह तक डीबीटी के माध्यम से सहायता दी जाएगी, ताकि वे नियमित रूप से स्कूल आ सकें। केवल वित्तीय सहायता नहीं, यह समावेशी शिक्षा की ओर एक ठोस कदम है, जिसमें प्रेरणा पोर्टल से लेकर पीएफएमएस प्रणाली तक एक साथ चलते हैं, जिसमें तकनीक, पारदर्शिता और करुणा का समन्वित रूप है। यह एक नीतिगत निर्णय के साथ संवेदनशील शासन की पहचान है, जहां वह बच्चा भी पढ़ने के सपने देख सकता है, जो चलने-फिरने तक में अक्षम हो।

इस योजना की क्रियान्वयन प्रक्रिया में प्रेरणा पोर्टल और समर्थ पोर्टल की महत्वपूर्ण भूमिका है, जहां पहले बच्चों की पात्रता की पुष्टि की जाएगी। 40% या उससे अधिक की दिव्यांगता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज़ अनिवार्य होंगे और विद्यालयों की नियमित उपस्थिति भी इस योजना की पात्रता की शर्त है।

संपूर्ण प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए विद्यालय से लेकर जिला स्तर तक हर स्तर पर जिम्मेदारी तय की गई है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक पात्र छात्र-छात्राओं को चिह्नित करेंगे, खंड शिक्षा अधिकारी उसे सत्यापित करेंगे और अंततः जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से अंतिम अनुमोदन होगा। इसके बाद पीएफएमएस पोर्टल के माध्यम से आधार सत्यापन और बैंक वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी कर भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा।

एफएमएंडपी मैनुअल-2024 के दिशा-निर्देशों के अनुसार पूरी योजना 30 सितंबर तक क्रियान्वित हो जाएगी। सभी भुगतान संबंधित मद के अंतर्गत ही किए जाएंगे और इसका दोहरे भुगतान या धनराशि विचलन की स्थिति में संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार माना जाएगा।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   29 July 2025 5:06 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story