व्यापार: भारत को विकास के पथ पर लाने के लिए जब 1951 में शुरू हुई पहली पंचवर्षीय योजना, जो बाद में बनी भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार

नई दिल्ली, 8 जुलाई (आईएएनएस)। पंचवर्षीय योजना का तात्पर्य भारत सरकार की ओर से तैयार उस दस्तावेज से होता था, जिसमें अगले पांच वर्षों के लिए सरकार की आमदनी और खर्च से जुड़ी योजनाओं का ब्यौरा होता था। भारत की पहली पंचवर्षीय योजना देश के आजाद होने के बाद 1951 में लाई गई थी। यह योजना अगले पांच वर्ष यानी 1956 तक के लिए लाई गई थी।
2017 से पहले तक केंद्र और सभी राज्य सरकारों के बजट को दो भागों गैर-योजना बजट और योजना बजट में बांटा जाता था। भारतीय अर्थव्यवस्था का मॉडल पंचवर्षीय योजनाओं पर आधारित प्लानिंग के कॉन्सेप्ट पर बेस्ड था।
प्रथम पंचवर्षीय योजना भारत के आर्थिक विकास पर केंद्रित थी। योजना को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संसद में पेश किया था। योजना के तहत देश के विकास को लेकर कृषि क्षेत्र पर ध्यान दिए जाने की जरूरत समझी गई। क्षेत्र के विकास के लिए बांधों और सिंचाई में निवेश की योजना बनाई गई। इसी योजना के तहत पंजाब के सतलुज नदी पर स्थित भाखड़ा नांगल बांध के लिए भारी आवंटन किया गया था। योजना कुछ संशोधनों के साथ हैरोड-डोमर मॉडल पर आधारित थी।
प्रथम पंचवर्षीय योजना के अंत यानी 1956 तक देश में पांच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किए गए। सरकार की यह योजना सफल रही और इसकी लक्षित वृद्धि दर 2.1 प्रतिशत रही जबकि प्राप्त विकास दर 3.6 प्रतिशत रही।
जिसके बाद दूसरी पंचवर्षीय योजना 1956-61, तीसरी पंचवर्षीय योजना 1961-66 में लाई गई। हालांकि, 1961-66 वाली पंचवर्षीय योजना को दौरान विकास के लक्ष्य को हासिल करन में आशातीत सफलता हासिल नहीं हो पाई, ऐसे में इस पंचवर्षीय योजना की विफलता के कारण सरकार ने 1966 से 1969 तक तीन वर्ष के लिए योजना पेश की। इसे योजना अवकाश कहा गया।
चौथी पंचवर्षीय योजना इंदिरा गांधी के नेतृत्व में स्थिरता के साथ विकास और आत्मनिर्भरता की प्रगतिशील उपलब्धि के उद्देश्य से 1969 से 1974 तक के लिए लाई गई थी।
पांचवीं पंचवर्षीय योजना गरीबी हटाओ, रोजगार, न्याय, कृषि उत्पादन और रक्षा पर केंद्रित थी, जिसे 1974 से 1978 तक के लिए लाया गया था। इसी तरह, छठी पंचवर्षीय योजना को फिर से इंदिरा गांधी के नेतृत्व में 1980 से 1985 तक के लिए लाया गया। सातवीं पंचवर्षीय योजना राजीव गांधी के नेतृत्व में 1985 से 1990 तक चली।
आठवीं पंचवर्षीय योजना पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में 1992 से 1997 तक के लिए लाई गई और 1997 से 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में नौवीं पंचवर्षीय योजना चली। अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2002 से 2007 तक दसवीं पंचवर्षीय योजना चली। 2007 से 2012 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व में ही ग्याहरवीं पंचवर्षीय योजना को लाया गया।
12वीं पंचवर्षीय योजना को देश की अंतिम पंचवर्षीय योजना भी कहा जाता है। तेज, अधिक समावेशी और टिकाऊ विकास के उद्देश्य से इस योजना को 2012 से 2017 तक की अवधि के लिए लाया गया था।
इस तरह देश में कुल 12 पंचवर्षीय योजनाएं लाई गईं, जिनके तहत देश के विकास के लिए अलग-अलग काम किए गए। पंचवर्षीय योजनाओं को तैयार, कार्यान्वित और विनियमित करने का काम करने वाली संस्था 'योजना आयोग' का स्थान नीति आयोग ने ले लिया। जिसके बाद 1 अप्रैल 2017 से दशकों से चली आ रही पंचवर्षीय योजना की जगह तीन वर्षीय कार्य योजनाएं शुरू की गई थीं, जो सात वर्षीय रणनीति दस्तावेज और 15 वर्षीय विजन दस्तावेज का हिस्सा है।
भारत ने इन पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति, दूध के क्षेत्र में श्वेत क्रांति, अंडे के लिए सिल्वर क्रांति के साथ मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नीली क्रांति जैसे कई लक्ष्य हासिल किए गए। इन पंचवर्षीय योजनाओं के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, सामाजिक संरचना का विकास, लोगों के जीवन-यापन के स्तर में सुधार जैसे कई प्रयास किए गए और इनमें आशातीत सफलता भी हाथ लगी। देश विकास के मार्ग पर तेजी से चल निकला।
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Created On :   8 July 2025 8:58 PM IST