पंजाबी सिनेमा के जरिए आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करना मेरा लक्ष्य एमी विर्क

पंजाबी सिनेमा के जरिए आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करना मेरा लक्ष्य  एमी विर्क
पंजाबी सिनेमा के स्टार एमी विर्क ने आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में अपने भविष्य के सपनों और योजनाओं को साझा किया। उनका लक्ष्य पंजाबी सिनेमा में एक ऐसा योगदान देना है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करे। उनका मानना है कि सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह संस्कृति और इतिहास को भी जीवित रखने का जरिया है।

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। पंजाबी सिनेमा के स्टार एमी विर्क ने आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में अपने भविष्य के सपनों और योजनाओं को साझा किया। उनका लक्ष्य पंजाबी सिनेमा में एक ऐसा योगदान देना है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करे। उनका मानना है कि सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह संस्कृति और इतिहास को भी जीवित रखने का जरिया है।

आईएएनएस के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी फिल्में आने वाले समय में ऐसी होंगी जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक कहानियों को बड़े पर्दे पर जीवंत करें।

एमी विर्क ने पंजाबी फिल्मों के विकास पर भी गर्व जताया। उन्होंने कहा, ''पहले पंजाबी फिल्मों का बजट केवल 2 करोड़ रुपये होता था, जबकि आज यह 100 करोड़ तक पहुंच गया है। भविष्य में यह बजट 200 करोड़ और फिर 500 करोड़ तक पहुंच सकता है, लेकिन यह तब संभव होगा जब हमारी फिल्मों में हमारी संस्कृति और इतिहास को प्रमुखता दी जाएगी।''

एमी ने भविष्य में महाराजा रणजीत सिंह पर फिल्म बनाने की योजना भी बताई, जो उनकी सांस्कृतिक महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।

एमी विर्क ने अपने अगले कई सालों की योजना को भी साझा किया। उनका कहा, ''मेरा केवल एक ही लक्ष्य है, एक ऐसी पहचान छोड़ना जो लंबे समय तक याद रहे। हमारी मेहनत और फिल्में आने वाली पीढ़ियों, छोटे कलाकारों और बच्चों के लिए प्रेरणा बनें। मैं यह आने वाले 10-20 साल, 20-30 साल की बात कर रहा हूं।"

ईमानदारी एमी विर्क के लिए सबसे ऊपर है। उन्होंने स्पष्ट किया, ''मेरे लिए कोई चीज ईमानदारी से ऊपर नहीं है। मैं हमेशा सच बोलने और सही काम करने को प्राथमिकता देता हूं।''

एमी ने पंजाबी सिनेमा और बॉलीवुड के बीच के अंतर को भी समझाया। उन्होंने कहा, ''असल फर्क केवल पैसों का है, क्योंकि बॉलीवुड की फिल्में महंगी होती हैं। लेकिन हर क्षेत्र की अपनी अलग खासियत और सुगंध होती है। जैसे पंजाब की फिल्म में पंजाबी संस्कृति की खुशबू होती है, गुजरात की फिल्मों में गुजराती संस्कृति की। यह क्षेत्रीय विविधता ही फिल्मों को खास बनाती है।''

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Created On :   25 Oct 2025 3:45 PM IST

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