अपराध: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नकली करेंसी रैकेट का किया भंडाफोड़, दो गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नकली करेंसी रैकेट का किया भंडाफोड़, दो गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उत्तर प्रदेश के अमरोहा में नकली करेंसी नोट छापने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में दो आरोपियों, अदनान और दानिश, को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से 44,500 रुपए की नकली भारतीय करेंसी, रंगीन प्रिंटर, पेपर शीट, पेपर कटर और नकली नोट छापने में इस्तेमाल होने वाला ग्रीन टेप बरामद किया गया।

नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उत्तर प्रदेश के अमरोहा में नकली करेंसी नोट छापने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में दो आरोपियों, अदनान और दानिश, को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से 44,500 रुपए की नकली भारतीय करेंसी, रंगीन प्रिंटर, पेपर शीट, पेपर कटर और नकली नोट छापने में इस्तेमाल होने वाला ग्रीन टेप बरामद किया गया।

स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 100 रुपए के नकली नोटों का प्रचलन हो रहा है। इस सूचना के आधार पर इंस्पेक्टर पंकज कुमार की अगुवाई में एक टीम ने जांच शुरू की। पता चला कि अमरोहा के कुछ लोग नकली नोट छापकर बाजार में फैला रहे हैं।

जांच के दौरान दो आरोपियों, अदनान (22 वर्ष) और दानिश (22 वर्ष), दोनों अमरोहा, उत्तर प्रदेश के निवासी, की पहचान हुई। पुलिस ने 20 जून दिल्ली के दल्लूपुरा क्षेत्र में एक जाल बिछाया, जहां अदनान नकली नोटों की खेप देने आया था। उसे मौके पर पकड़ लिया गया और उसके पास से 100 रुपए के 300 नकली नोट (कुल 30,000 रुपए) बरामद किए गए।

पूछताछ में अदनान ने बताया कि वह अपने दोस्त दानिश के साथ मिलकर अमरोहा में दानिश के घर पर रंगीन प्रिंटर से नकली नोट छापता था। इसके बाद पुलिस ने अमरोहा में दानिश के घर पर छापा मारा, जहां से 200 रुपए के दो और 100 रुपए के 141 नकली नोट (कुल 14,500 रुपए) बरामद किए गए। साथ ही, नकली नोट छापने में इस्तेमाल होने वाला प्रिंटर और अन्य सामान भी जब्त किया गया। इस मामले में दिल्ली के स्पेशल सेल थाने में धारा 179 बीएनएस के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

पूछताछ में अदनान ने बताया कि उसने 12वीं तक पढ़ाई की है और वह एक पैथोलॉजी लैब में सैंपल कलेक्शन बॉय था। आर्थिक तंगी के कारण उसने नकली नोट छापने का धंधा शुरू किया। एक व्यक्ति ने उसे यह तकनीक सिखाई थी। उसने अपने दोस्त दानिश को भी इसमें शामिल किया, जो आठवीं तक पढ़ा है और पहले एक फैक्ट्री में मजदूर था। दोनों छोटे मूल्य (100 रुपए) के नोट छापते थे, क्योंकि उनकी जांच कम होती है और इन्हें बाजार में आसानी से चलाया जा सकता है। यह गिरोह पिछले चार-पांच महीने से सक्रिय था।

पुलिस उपायुक्त (स्पेशल सेल) अमित कौशिक ने बताया कि इस रैकेट के अन्य कनेक्शनों की जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि नकली करेंसी के खिलाफ यह कार्रवाई संगठित अपराध पर नकेल कसने की दिशा में अहम कदम है।

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Created On :   7 July 2025 10:15 PM IST

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