सुरक्षा: ईरान-इजरायल संघर्ष का असर बासमती चावल निर्यातकों ने भुगतान संकट और कीमतों के गिरने की दी चेतावनी

ईरान-इजरायल संघर्ष का असर  बासमती चावल निर्यातकों ने भुगतान संकट और कीमतों के गिरने की दी चेतावनी
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष का असर भारत के बासमती चावल व्यापार पर पड़ने लगा है। रविवार को निर्यातकों ने चेतावनी दी कि यदि स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ तो भुगतान संकट उत्पन्न हो सकता है और चावलों की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है।

नई दिल्ली, 22 जून (आईएएनएस)। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष का असर भारत के बासमती चावल व्यापार पर पड़ने लगा है। रविवार को निर्यातकों ने चेतावनी दी कि यदि स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ तो भुगतान संकट उत्पन्न हो सकता है और चावलों की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है।

अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष सतीश गोयल ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "ईरान को भेजा जाने वाला एक लाख टन से अधिक बासमती चावल अभी भारतीय बंदरगाहों पर फंसा हुआ है। ईरान हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण बाजार है। भारत के कुल चावल निर्यात का लगभग 18 से 20 प्रतिशत ईरान जाता है। हर साल हम उन्हें लगभग 10 लाख टन बासमती चावल निर्यात करते हैं।"

गोयल ने बताया कि व्यापार में अभी तक पूरी तरह से रुकावट नहीं आई है। लेकिन निर्यात प्रक्रिया में देरी की वजह से भुगतान को लेकर अनिश्चितता के कारण गंभीर वित्तीय तनाव पैदा हो सकता है। अगर यह संघर्ष जारी रहा तो स्थानीय बाजार में नकदी की कमी होने लगेगी। कीमतों में पहले ही चार से पांच रुपए प्रति किलोग्राम की गिरावट आ चुकी है और अगर स्थिति और खराब हुई, तो यह गिरावट और भी बढ़ सकती है।

उन्होंने कहा, "निर्यातकों के सामने अब एक बड़ी चुनौती युद्ध के दौरान बीमा कवरेज की कमी है। कोई भी बीमा कंपनी संघर्ष क्षेत्रों में प्रवेश करने वाले जहाजों के लिए युद्ध जोखिम को कवर नहीं करती है। इसका मतलब है कि अगर परिवहन के दौरान कुछ होता है, तो निर्यातकों को पूरा नुकसान उठाना पड़ता है। अमेरिका के संघर्ष में शामिल होने के बाद स्थिति और खराब हो गई। कल (शनिवार) रात तक हमें उम्मीद थी कि चीजें शांत हो जाएंगी, लेकिन अब ऐसा नहीं लगता है। अमेरिका के प्रवेश ने स्थिति को और भी अनिश्चित बना दिया है।"

गोयल ने कहा, "हरियाणा का करनाल, बासमती चावल निर्यात का एक प्रमुख केंद्र है। भारत के कुल निर्यात का लगभग 25 से 30 प्रतिशत हिस्सा इसी क्षेत्र से होता है। इस क्षेत्र के निर्यातक पिछले 15 से 20 वर्षों से ईरान के साथ बिना किसी व्यवधान के व्यापार कर रहे हैं। संकट पर चर्चा के लिए 24 जून को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक निर्धारित है।"

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   22 Jun 2025 11:37 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story