भोपाल की छात्राओं ने करीब से जनजातीय वर्ग के जीवन को जाना

भोपाल की छात्राओं ने करीब से जनजातीय वर्ग के जीवन को जाना
मध्य प्रदेश सरकार के नेतृत्व में छात्राओं को ग्रामीण जनजीवन से लेकर उनकी जिंदगी को करीब से परिचित कराने के मकसद से ज्ञान पर्यटन श्रृंखला चलाई जा रही है। इसी क्रम में गीतांजलि सरकारी कन्या महाविद्यालय, भोपाल की छात्राओं ने भोपाल के केकड़िया में जनजातीय वर्ग के बीच पहुंचकर उनकी जिंदगी को करीब से देखा। भ्रमण की शुरुआत पारंपरिक विधि से हुई, जहां छात्राओं का स्वागत स्थानीय जनजातीय समुदाय की महिलाओं ने गीत और नृत्य के साथ किया।

भोपाल, 13 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश सरकार के नेतृत्व में छात्राओं को ग्रामीण जनजीवन से लेकर उनकी जिंदगी को करीब से परिचित कराने के मकसद से ज्ञान पर्यटन श्रृंखला चलाई जा रही है। इसी क्रम में गीतांजलि सरकारी कन्या महाविद्यालय, भोपाल की छात्राओं ने भोपाल के केकड़िया में जनजातीय वर्ग के बीच पहुंचकर उनकी जिंदगी को करीब से देखा। भ्रमण की शुरुआत पारंपरिक विधि से हुई, जहां छात्राओं का स्वागत स्थानीय जनजातीय समुदाय की महिलाओं ने गीत और नृत्य के साथ किया।

इसके बाद छात्राओं ने स्थानीय हाट बाजार का भ्रमण किया, जहां उन्होंने जनजातीय जीवनशैली की गहराइयों को नजदीक से समझा। उन्होंने पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों, जनजातीय चिकित्सा पद्धतियों, स्थानीय कृषि उत्पादों, जैविक वस्तुओं, अनाज, गृह उपयोगी सामग्री और पारंपरिक हथियारों जैसे धनुष-बाणों का भी अवलोकन किया। इस अनुभव ने उन्हें यह समझने का अवसर दिया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में परंपरागत कौशल और हस्तकला किस प्रकार आज भी जीवंत हैं। इस यात्रा में कुल 49 छात्राएं सम्मिलित हुईं, उनके साथ डॉ. अनीता देभरतार और डॉ. मधु त्रिवेदी मार्गदर्शक के रूप में उपस्थित रहीं।

यह भ्रमण सेफ टूरिज्म डेस्टिनेशन वुमन परियोजना के अंतर्गत प्रशिक्षित वाणी राजपूत के निर्देशन में हुआ। छात्राओं ने विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने ट्रैकिंग, कुंभारकला (पॉटरी), बैलगाड़ी सवारी, और स्थानीय खेलों व तीरंदाजी जैसी पारंपरिक गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीण जीवन की सरलता और आत्मनिर्भरता का अनुभव किया। साथ ही, उन्होंने फार्म टू प्लेट की अवधारणा को समझते हुए यह देखा कि किस प्रकार खेत से लेकर थाली तक भोजन की यात्रा होती है।

छात्राओं ने सतत कृषि संबंधी प्रक्रियाओं जैसे फसल चक्र, ड्रिप सिंचाई तकनीक और पोषण खेती का व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त किया। दोपहर के भोजन में उन्हें ग्रामीण स्वाद का अनुभव कराते हुए मक्के की रोटी, कढ़ी, भाजी, टमाटर की चटनी, दाल और चावल जैसे पारंपरिक व्यंजन परोसे गए, जिन्हें स्थानीय महिलाओं ने तैयार किया था। भ्रमण के अंतिम चरण में छात्राओं ने सामासगढ़ जैन मंदिर का दर्शन किया, जहां उन्होंने स्थानीय लोगों से इस क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में जानकारी प्राप्त की।

कार्यक्रम का समापन उत्साहपूर्ण माहौल में हुआ। छात्राओं ने लोकगीतों और नृत्य के माध्यम से जनजातीय कलाकारों के साथ सहभागिता की और चाय-नाश्ते के दौरान अपने अनुभव साझा किए। इस शैक्षणिक भ्रमण ने छात्राओं में स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक कृषि ज्ञान और जनजातीय जीवनशैली के प्रति गहरी समझ और संवेदनशीलता विकसित की, जिससे वे न केवल पर्यटन की दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना के स्तर पर भी अधिक सशक्त बनीं।

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Created On :   13 Nov 2025 10:14 PM IST

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