विज्ञान/प्रौद्योगिकी: देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए तत्काल भूमि सुधार आवश्यक सीआईआई

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने रविवार को देश को 2047 तक एक लीडिंग मैन्युफैक्चरिंग और इन्वेस्टमेंट हब बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद के लिए तत्काल और बड़े भूमि सुधारों को आवश्यक बताया।
सीआईआई ने कहा कि भारत ने सुधार के कई क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है, लेकिन भूमि क्षेत्र अभी भी चुनौतियों का सामना कर रहा है जो औद्योगिक विकास को धीमा कर रही हैं और निवेशकों को हतोत्साहित कर रही हैं।
सीआईआई ने अपने बयान में कहा कि भारत का मजबूत नीतिगत ढांचा, औद्योगिक क्षमताएं, विशाल घरेलू बाजार और युवा कार्यबल इसे एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाते हैं, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार और निवेश पैटर्न बदल रहे हैं।
बयान में आगे कहा गया कि इन अवसरों का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए, भारत को एक दूरदर्शी प्रतिस्पर्धात्मकता एजेंडे की आवश्यकता है जिसमें भूमि सुधार एक प्रमुख प्राथमिकता होनी चाहिए।
सीआईआई ने कहा कि पहुंच में सुधार, लागत कम करना और व्यवसायों के लिए नियमों को सरल बनाना भी आवश्यक है।
इसने केंद्र और राज्यों के बीच भूमि नीति के समन्वय के लिए जीएसटी जैसी एक परिषद बनाने का सुझाव दिया, क्योंकि भूमि प्रशासन मुख्यतः राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है।
इंडस्ट्री बॉडी ने कहा कि मौजूदा समय में देश में औद्योगिक भूमि बैंक मुख्यतः एक इन्फॉर्मेशन टूल है और इसे एक नेशनल प्लेटफॉर्म के रूप में अपग्रेड किया जाना चाहिए जो न केवल डेटा प्रदान करे बल्कि सिंगल डिजिटल इंटरफेस के माध्यम से भूमि के सीधे आवंटन भी हो।
मौजूद सिस्टम की खामियों पर सीआईआई ने कहा कि भारत में संपत्ति के पंजीकरण में नौ प्रक्रियाएं शामिल हैं और 58 दिन लगते हैं। साथ ही, इसमें संपत्ति के मूल्य की लगभग 8 प्रतिशत राशि खर्च होती है।
वहीं, न्यूजीलैंड जैसे देश इस प्रक्रिया को केवल 3.5 दिनों में, बहुत कम लागत पर पूरा कर लिया जाता है।
इस समस्या के समाधान के लिए सीआईआई ने प्रत्येक राज्य में एक ही स्थान पर आवंटन, बदलाव, विवाद समाधान और जोनिंग के लिए एकीकृत भूमि प्राधिकरण स्थापित करने की सिफारिश की।
सीआईआई ने भूमि उपयोग बदलाव प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने, स्टाम्प शुल्क दरों को सभी राज्यों में एक समान 3-5 प्रतिशत तक युक्तिसंगत बनाने और विवादों को कम करने के लिए अनुमानित से निर्णायक भूमि स्वामित्व में बदलाव का भी सिफारिश की।
इंडस्ट्री बॉडी ने कहा कि भारत में दीवानी मुकदमों में दो-तिहाई हिस्सा भूमि विवादों का है, जिससे निवेशकों के लिए अनिश्चितता पैदा होती है।
इंडस्ट्री बॉडी ने राज्यों से भूमि विवादों पर आंकड़े प्रकाशित करने, मिश्रित उपयोग विकास को प्रोत्साहित करने वाले लचीले जोनिंग नियमों को अपनाने, पर्यावरणीय स्थिरता को औद्योगिक नियोजन में एकीकृत करने और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से बड़े ग्रामीण भूमि खंडों को औद्योगिक गलियारों से जोड़ने का आग्रह किया।
सीआईआई के अनुसार, ये सुधार न केवल भारत को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएंगे बल्कि ग्रामीण विकास को भी बढ़ावा देंगे, अधिक निवेश आकर्षित करेंगे और समावेशी आर्थिक विकास को गति देंगे।
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Created On :   10 Aug 2025 2:59 PM IST