रोग मुक्त भारत शोक मुक्त भारत: के नारे के साथ निकाली गई तपस यात्रा, श्री करौली शंकर महादेव के आशीर्वाद के लिए उमड़ी भीड़
हमारे रोगों का कारण हमारे पितृ व उनकी नकारात्मक रोगी स्मृतियाँ हैं, जो शरीर में और मन में रोग पैदा करती है, यहाँ ‘रोग’ से अर्थ है शरीर की बीमारियाँ, जैसे की कैंसर, पेट की बीमारी, किडनी, लिवर आदि ख़राब होना, और ‘शोक’ का अर्थ है मानसिक बीमारियाँ जैसे की एंजाइटी, डिप्रेशन, आत्महत्या के विचार आना आदि ।
श्री करौली शंकर महादेव, पूर्वज मुक्ति धाम के अनुसंधान की मानें तो स्मृतियाँ ही रोग और शोक का महाकारण हैं यदि स्मृतियों से मुक्ति पा ली जाये तो इन दोनों कष्टों से मुक्ति पाना संभव है, जिसे जान साधारण के लिए सुलभ करते हुए श्री करौली शंकर महादेव, धाम द्वारा आयोजित की गई सांकेतिक तपस यात्रा में श्री करौली शंकर गुरुदेव और उनके भक्तों ने भाग लिया, जिनकी संख्या 25000 से ऊपर की थी ।
यह तपस यात्रा श्री करौली शंकर महादेव, धाम से सुबह 7 बजे चली और ‘करौली शंकर’ के नारे लगाते हुए सभी भक्त अपने प्यारे गुरुदेव के साथ सरसैया घाट, कानपुर की और रवाना हुए, रुकते-रूकाते सभी भक्त ‘रोग मुक्त भारत शोक मुक्त भारत’ का जन साधारण को संदेश देते हुए चले और साथ में यह भी की पितृ मुक्ति करा कर ही आप उनकी नकारात्मक स्मृतियों से मुक्ति पा सकते हैं और इसी से भारत का जन-जन रोग मुक्त एवं शोक मुक्त हो सकता है ।
सरसैया घाट पहुँच कर गुरुदेव द्वारा पूर्वज मुक्ति लिए हवन किया गया जिसमें सभी भाग लेने वाले भक्तों के पितृ दोष को सदा-सदा के लिए समाप्त किया गया । इसके बाद सभी ने माँ गंगा की भव्य आरती की, जो की सुनसान पड़े सरसैया घाट पर श्री करौली शंकर गुरुदेव द्वारा ही पुनः सुचारू रूप से कराई जाने लगी है ।
जिसके माध्यम से श्री करौली शंकर गुरुदेव सभी को यह संदेश देना चाहते हैं कि माँ गंगा का शुद्धीकरण अनिवार्य है, यदि माँ गंगा स्वच्छ नहीं होगी तो उनकी संताने उनका जल ग्रहण कर के स्वस्थ कैसे रहेंगे, माँ गंगा की सफ़ाई के बिना ‘रोग मुक्त भारत शोक मुक्त भारत’ का स्वप्न अधूरा है । इसके लिए गंगा सफ़ाई अभियान जो की दरबार द्वारा ‘गंगा श्रम’ दान के नाम से चलाया गया जाएगा, जिसमे सभी भक्तों एवं पदयात्रीयो ने माँ गंगा की सफ़ाई में अपना योग दान दिया
Created On :   12 March 2024 1:03 PM IST