व्यापार: एग्रो और डेयरी में उत्तर गुजरात की नई उड़ान, वीजीआरसी में होगी वैश्विक पहचान की प्रस्तुति

एग्रो और डेयरी में उत्तर गुजरात की नई उड़ान, वीजीआरसी में होगी वैश्विक पहचान की प्रस्तुति
गुजरात एकीकृत सहकारी मॉडल के माध्यम से देश की कृषि अर्थव्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। अब, उत्तर गुजरात की कृषि, डेयरी और फूड प्रोसेसिंग की ताकतें राष्ट्रीय और वैश्विक निवेशकों के सामने पेश की जाएंगी। उत्तर गुजरात में 9 से 10 अक्टूबर को वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस (वीजीआरसी) का आयोजन होने जा रहा है।

गांधीनगर, 11 सितंबर (आईएएनएस)। गुजरात एकीकृत सहकारी मॉडल के माध्यम से देश की कृषि अर्थव्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। अब, उत्तर गुजरात की कृषि, डेयरी और फूड प्रोसेसिंग की ताकतें राष्ट्रीय और वैश्विक निवेशकों के सामने पेश की जाएंगी। उत्तर गुजरात में 9 से 10 अक्टूबर को वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस (वीजीआरसी) का आयोजन होने जा रहा है।

दो दिवसीय यह सम्मेलन न केवल किसानों, उद्यमियों और उद्योगपतियों को जोड़ने का मंच बनेगा, बल्कि प्रदेश के कृषि क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन की सफलता की कहानियों को भी प्रदर्शित करेगा।

कार्यक्रम के पहले दिन 9 अक्टूबर को, गुजरात सरकार के कृषि, किसान कल्याण एवं सहकार विभाग की ओर से ‘सॉयल टू शेल्फ: इन्टीग्रेटिंग सस्टेनिबिलिटी एंड प्रॉफिटिबिलिटी अक्रॉस दि वैल्यू चेन’ विषय पर सेमिनार आयोजित होगा, जिसमें विशेषज्ञ स्थायी और लाभकारी कृषि मॉडल पर चर्चा करेंगे।

दूसरे दिन 10 अक्टूबर को, 'एग्री-टेक टू एग्री-वेल्थ: ट्रांसफॉर्मिंग एग्रीकल्चर थ्रू टेक्नोलॉजी' विषय पर सेमिनार होगा। इसमें खेती में तकनीकी नवाचार, एग्री-स्टार्टअप्स और डिजिटल एग्रीकल्चर के बढ़ते अवसरों पर चर्चा की जाएगी, जिससे किसानों की आय और प्रदेश की कृषि प्रतिस्पर्धा को नई दिशा मिलेगी।

'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' (ओडीओपी) पहल के तहत अरावली जिले ने आलू-आधारित उत्पादों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। यहां के फ्रेंच फ्राइज, फ्लेक्स और स्टार्च-रहित (शुगर-फ्री) आलू वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बढ़त दिला रहे हैं। वर्ष 2024-25 में, अरावली जिले से आलू का निर्यात 12 देशों ओमान, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, मलेशिया, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), हांगकांग, वियतनाम, बहरीन, कतर, अंगोला और श्रीलंका को हुआ। यह जिला सौंफ, मेथी और हल्दी की खेती पर आधारित जैविक मसालों और पाउडर प्रोसेसिंग के लिए भी एक प्रमुख केंद्र बन चुका है।

दूसरी ओर, बनासकांठा जिला न केवल गुजरात का सबसे बड़ा आलू उत्पादक है, बल्कि राज्य के कृषि और डेयरी क्षेत्रों में भी अग्रणी है। वर्ष 2024-25 में 18.70 लाख टन आलू उत्पादन के साथ यह राज्य में पहले स्थान पर रहा। यहां फ्रोजन और डिहाइड्रेटेड आलू उत्पादों के लिए मजबूत औद्योगिक आधार मौजूद है। आलू के साथ-साथ, बनासकांठा भारत के इसबगोल (प्सिलियम हस्क) उत्पादन में भी वैश्विक नेतृत्व में योगदान देता है। संपूर्ण गुजरात से इसबगोल का निर्यात 88 देशों में होता है, जिनमें से 79 देशों को निर्यात केवल उत्तर गुजरात से होता है।

डेयरी क्षेत्र में भी यह जिला अपनी पहचान रखता है। बनास डेयरी, जो भारत की सबसे बड़ी डेयरी है, 1,600 से अधिक दुग्ध समितियों और 3 लाख किसानों के सहयोग से संचालित होती है। कृषि, डेयरी और प्रोसेसिंग उद्योगों का यह संगम न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है, बल्कि उत्तर गुजरात को वैश्विक मानचित्र पर भी सशक्त उपस्थिति दिला रहा है।

उत्तर गुजरात निवेश और कृषि विकास के नए आयाम गढ़ रहा है। मेहसाणा शहर अब केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए ही नहीं, बल्कि कृषि, फूड प्रोसेसिंग, उच्च गुणवत्ता वाले मसालों, डेयरी और वैल्यू-एडेड एग्रीकल्चर के लिए भी पहचान बना रहा है। उंझा का प्रसिद्ध मार्केट यार्ड जीरा, सौंफ और अन्य ऑर्गेनिक मसालों की प्रोसेसिंग के लिए एक स्वाभाविक बढ़त देता है, जबकि दूधसागर डेयरी बड़े पैमाने पर दूध, घी, मक्खन और पनीर के उत्पादन से स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों में मजबूती ला रही है। हाल के वर्षों में अरंडी और मूंगफली के बढ़ते उत्पादन ने तेल मिल और संबद्ध उद्योगों के लिए नए अवसर खोले हैं।

क्षेत्र के कृषि उत्पादों में पाटण के गाजर, चाणसमां की सौंफ और सामी, राधनपुर व सांतलपुर का जीरा शामिल हैं, जो प्रोसेसिंग उद्योग के लिए एक सशक्त आधार तैयार करते हैं। सरसों, अरंडी और मूंगफली जैसी तिलहन फसलों की बढ़ती पैदावार ऑयल मिलिंग और संबद्ध उद्योगों को गति दे रही है। आलू और गाजर प्रोसेसिंग में भी मेहसाणा अहम योगदान दे रहा है।

दूसरी ओर, साबरकांठा जिला एग्रो और फूड प्रोसेसिंग के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। यहां की कृषि क्षमता और डेयरी का मजबूत नेटवर्क इस बदलाव को गति दे रहा है। साबर डेयरी प्रतिदिन 33.53 लाख लीटर दूध का उत्पादन कर रही है, जबकि आलू और ऑर्गेनिक मसालों की खेती अंतरराष्ट्रीय निर्यात के रास्ते खोल रही है।

नाबार्ड के अनुसार, जिले में 58 लाख मीट्रिक टन से अधिक भंडारण क्षमता की मांग है, जो निवेशकों के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश के व्यापक अवसर प्रस्तुत करती है।

कुल मिलाकर, उत्तर गुजरात कृषि, फूड प्रोसेसिंग और डेयरी सेक्टर में निवेश के लिए तेजी से विकसित हो रहा है। यहां का कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़ाव इसे निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना रहे हैं।

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Created On :   11 Sept 2025 3:49 PM IST

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