स्वास्थ्य/चिकित्सा: हाथी पांव की बीमारी को दूर करने में सरकार की ये नीति कारगर रही डॉ. एनके गांगुली

हाथी पांव की बीमारी को दूर करने में सरकार की ये नीति कारगर रही  डॉ. एनके गांगुली
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. एनके गांगुली ने बताया कि कैसे लिम्फेटिक फाइलेरियासिस यानी हाथी पांव की बीमारी को दूर करने में सरकार सही दिशा में काम कर रही है।

नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. एनके गांगुली ने बताया कि कैसे लिम्फेटिक फाइलेरियासिस यानी हाथी पांव की बीमारी को दूर करने में सरकार सही दिशा में काम कर रही है।

दरअसल, सरकार ने साल 2027 तक देश को लिम्फेटिक फाइलेरियासिस यानी हाथी पांव की बीमारी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) द्वारा संचालित पांच-आयामी रणनीति के परिणाम सामने आ रहे हैं। इस बारे में अपनी राय आईएएनएस के जरिए डॉ. एनके गांगुली ने लोगों से साझा की।

उन्होंने कहा, "भारत में लगभग 7.5 लाख लोग लिम्फेडेमा और हाइड्रोसील जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। ये बीमारियां न केवल शारीरिक परेशानी का कारण बनती हैं, बल्कि मरीजों को गहरे सामाजिक प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी काम करने और सामुदायिक जीवन में पूरी तरह से भाग लेने की क्षमता सीमित हो जाती है।"

भारत में लिम्फेडेमा की इलाज की लागत बहुत अधिक है, विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि इससे उत्पादकता में सालाना लगभग 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।

डॉक्टर एनके गांगुली ने कहा, "इसलिए लिम्फेडेमा का उन्मूलन एक स्पष्ट सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता है, न केवल बीमारी के बोझ को कम करने के लिए, बल्कि आजीविका और आर्थिक उत्पादकता की रक्षा के लिए भी।"

उन्होंने आईएएनएस को बताया, "यह उत्साहजनक है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के नेतृत्व में भारत की पांच-आयामी रणनीति के परिणाम सामने आ रहे हैं। जुलाई 2025 तक, 143 से अधिक जिलों ने माइक्रोफाइलेरिया संचरण दर को 1 प्रतिशत से नीचे लाकर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) को रोकने की सीमा को पूरा कर लिया है।"

इस वर्ष की शुरुआत में प्रारंभ की गई इस पांच-आयामी रणनीति में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) के साथ वर्ष में 2 बार एमडीए अभियान, शीघ्र निदान और उपचार के साथ रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता निवारण, निगरानी और प्रबंधन के साथ वेक्टर नियंत्रण, विभिन्न मंत्रालयों के साथ उच्च-स्तरीय बातचीत और एलएफ के लिए मौजूदा डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ उठाकर और वैकल्पिक निदान की खोज करके नवीन दृष्टिकोण तैयार करना शामिल है।

गांगुली ने कहा, "एमडीए कवरेज दरें, जो अब कई क्षेत्रों में 85 प्रतिशत से अधिक हो गई हैं, धीरे-धीरे महत्वाकांक्षी 95 प्रतिशत लक्ष्य के करीब पहुंच रही हैं। कभी अवास्तविक मानी जाने वाली ये दरें अब अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, नीति निर्माताओं और सामुदायिक हितधारकों के निरंतर प्रयासों के कारण पहुंच के भीतर हैं।"

इसका श्रेय उन्होंने राज्य द्वारा संचालित सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) अभियानों को दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि पूरे देश में मौजूद आशा और एएनएम कर्मचारियों की बदौलत ही यहां तक पहुंच पाए। इन्होंने दिन-रात मेहनत करके इसके प्रति लोगों को जागरूक किया। लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को दूर करने में इनका बहुत बड़ा योगदान है।

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Created On :   13 Aug 2025 7:22 PM IST

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