राष्ट्रीय: ओडिशा भारी बारिश के बाद हीराकुंड बांध से पहली बार छोड़ा गया बाढ़ का पानी

ओडिशा  भारी बारिश के बाद हीराकुंड बांध से पहली बार छोड़ा गया बाढ़ का पानी
ओडिशा के संबलपुर के पास स्थित हीराकुंड जलाशय के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण डैम का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इसके मद्देनजर रविवार को इस साल पहली बार हीराकुंड डैम से बाढ़ का पानी छोड़ा गया।

संबलपुर, 6 जुलाई (आईएएनएस)। ओडिशा के संबलपुर के पास स्थित हीराकुंड जलाशय के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण डैम का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इसके मद्देनजर रविवार को इस साल पहली बार हीराकुंड डैम से बाढ़ का पानी छोड़ा गया।

हीराकुंड बांध के मुख्य अभियंता सुशील कुमार बेहरा ने कहा, "पूजा करके हमने सुबह 10 बजे गेट खोले हैं। फिलहाल 3 नंबर गेट चालू हैं। अभी 12 गेट खोले जाने बाकी हैं। पहले हम लोग रिव्यू करेंगे और फिर जरूरत पड़ने पर और अधिक गेट खोले जा सकते हैं।"

पानी छोड़ने से पहले पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद डैम के बाईं ओर स्थित गेट नंबर 7 से पानी छोड़ा गया। पानी छोड़ने से पहले चेतावनी सायरन बजाकर लोगों को सतर्क किया गया। इस दौरान डैम प्रशासन और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। डैम अधिकारियों के अनुसार, रविवार को चरणबद्ध तरीके से कुल 12 गेट खोले जाएंगे, जिनमें बाईं ओर के आठ और दाईं ओर के चार गेट शामिल हैं।

शनिवार सुबह 9:25 बजे तक जलाशय का जलस्तर 609.54 फीट दर्ज किया गया था, जबकि अधिकतम भंडारण क्षमता 630 फीट है। जलाशय में पानी का प्रवाह वर्तमान में 2,01,316 क्यूसेक है। पानी छोड़े जाने की खबर सुनकर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग डैम पर इकट्ठा हुए और इस नजारे को देखने पहुंचे। यह दृश्य लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया।

हालांकि, प्रशासन ने पहले से ही लोगों को सतर्क कर दिया था कि वे नदी के किनारे न रहें और पानी में न उतरें, क्योंकि हीराकुंड डैम से पानी छोड़े जाने के कारण उसकी सहायक नदियों में जलस्तर बढ़ने की आशंका है। इसके अलावा, हीराकुंड डैम प्रशासन ने पहले ही महानदी के निचले इलाके के 13 जिलों के प्रशासन को अलर्ट कर दिया है, ताकि वे किसी भी संभावित आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें।

उल्लेखनीय है कि हीराकुंड डैम में कुल 98 गेट लगे हैं, जिनमें 64 स्लूइस गेट और 34 क्रेस्ट गेट शामिल हैं। जलाशय के सभी संचालन "रूल कर्व" प्रबंधन प्रणाली के अनुसार किए जाते हैं, ताकि बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई के लिए पानी का संतुलित उपयोग हो सके।

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Created On :   6 July 2025 5:41 PM IST

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