राष्ट्रीय: जगन पर चाकू से हमला : आंध्र हाईकोर्ट ने आरोपी श्रीनू की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
अमरावती, 24 जनवरी (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी पर 2018 में चाकू से हमले के आरोपी जानीपल्ली श्रीनिवास उर्फ कोडी काठी श्रीनू की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति दुर्गा प्रसाद राव और न्यायमूर्ति किरणमयी मंडावा की खंडपीठ ने आरोपी की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जो पांच साल से अधिक समय से जेल में है।
श्रीनू ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर विशाखापत्तनम के एनआईए मामलों पर विशेष न्यायाधीश के आदेश को रद्द करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि सुरक्षा नागरिक उड्डयन अधिनियम 1982 की धारा 6ए (बी) के विरुद्ध गैरकानूनी कृत्यों के कारण श्रीनू जमानत का हकदार नहीं है।
श्रीनू के वकील अब्दुस सलीम ने दलील दी कि श्रीनू जमानत का पात्र है, क्योंकि वह पांच साल से जेल में है।
अदालत को यह भी बताया गया कि मुकदमे में कोई प्रगति नहीं हुई है, क्योंकि जगन मोहन रेड्डी अपना बयान दर्ज कराने के लिए ट्रायल कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे हैं।
एनआईए की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और श्रीनू के वकील दोनों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
यह ऐसे समय में आया है, जब श्रीनू के न्याय की मांग को लेकर विशाखापत्तनम सेंट्रल जेल में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने की खबर है।
जेल में उनसे मुलाकात करने वाले कुछ दलित नेताओं ने उनके बिगड़ते स्वास्थ्य पर चिंता जताई है।
दलित नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि श्रीनू पर भूख हड़ताल खत्म करने का दबाव है और दावा किया कि उनकी जान को खतरा है।
श्रीनू के वकील अब्दुस सलीम ने जेल अधिकारियों से स्वास्थ्य बुलेटिन जारी करने की मांग करते हुए जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण से भी संपर्क किया है।
बताया जाता है कि दलित व्यक्ति जमानत या मुकदमे की मांग को लेकर 18 जनवरी से अनशन पर है।
उसकी पत्नी और भाई ने भी पिछले सप्ताह विजयवाड़ा में भूख हड़ताल की थी।
विशाखापत्तनम हवाईअड्डे पर एक फूड प्वाइंट के कर्मचारी श्रीनू ने 25 अक्टूबर, 2018 को हवाईअड्डे पर तत्कालीन विपक्ष के नेता जगन मोहन रेड्डी पर चाकू से हमला किया था, जिससे उनके कंधे पर चोट लग गई थी।
सुरक्षाकर्मियों ने श्रीनू को दबोच कर लिया था।
चूंकि उन्होंने मुर्गों की लड़ाई में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले चाकू का इस्तेमाल किया था, इसलिए उसे 'कोडी काठी' (मुर्गा चाकू) श्रीनू कहा जाने लगा।
वह तब से जेल में बंद है, लेकिन थोड़े समय के लिए जमानत पर बाहर था।
चूंकि जगन मोहन रेड्डी 2019 में मुख्यमंत्री बने थे, न्यायाधीश के सामने गवाही देने के लिए ट्रायल कोर्ट में जाने से बचते रहे हैं, इसलिए मुकदमा शुरू नहीं हो सका।
श्रीनू का परिवार मांग कर रहा है कि या तो उसे जमानत पर रिहा किया जाए या उस पर मुकदमा चलाया जाए। हमले के पीछे तत्कालीन टीडीपी सरकार की साजिश का संदेह करते हुए वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने मामले की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग करते हुए राज्य उच्च न्यायालय का रुख किया था।
अदालत के निर्देश के आधार पर केंद्र ने मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया, जिसने 1 जनवरी, 2019 को मामला दर्ज किया था।
श्रीनू को एनआईए कोर्ट, विजयवाड़ा ने 23 मई, 2019 को जमानत दे दी और 25 मई को रिहा कर दिया गया।
हालांकि, एनआईए द्वारा राज्य उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाए जाने के बाद उसी वर्ष 16 अगस्त को जमानत रद्द कर दी गई थी।
करीब चार साल की जांच के बाद एनआईए ने 13 अप्रैल 2023 को कोर्ट को बताया कि हमले के पीछे कोई साजिश नहीं थी। हालांकि, जगन की कानूनी टीम ने दावा किया कि वास्तव में उन्हें खत्म करने की साजिश थी, क्योंकि आरोपी ने टीडीपी नेता के अधीन काम किया था।
एनआईए कोर्ट, विजयवाड़ा ने 25 जुलाई, 2023 को जगन की अपील खारिज कर दी।
हालांकि, आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी और तब से यह लंबित है।
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Created On :   24 Jan 2024 10:06 PM IST