टीबी जांच की नई तकनीक ईजाद, बलगम से नहीं अब सांस से लगेगा बीमारी का पता

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों ने एक नया उपकरण विकसित किया है जो सांस के जरिए निकलने वाली हवा में मौजूद ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के बैक्टीरिया के डीएनए को पहचान सकता है।
टीबी एक खतरनाक बीमारी है जो हवा के माध्यम से फैलती है और इलाज समय पर न होने पर जानलेवा भी हो सकती है।
आमतौर पर टीबी की जांच के लिए मरीज से बलगम का नमूना लिया जाता है, लेकिन कई बार मरीज बलगम निकालने में असमर्थ होते हैं या खांसी इतनी नहीं होती कि बलगम निकल सके। ऐसे में बीमारी का पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
इस समस्या का समाधान निकालने के लिए वैज्ञानिकों ने सांस से निकलने वाली हवा में मौजूद छोटे-छोटे कणों (एरोसोल) में टीबी के डीएनए की जांच करने वाला उपकरण तैयार किया है।
ओपन फोरम इन्फेक्शियस डिजीज में प्रकाशित यह शोध स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने किया है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 137 वयस्क मरीजों पर इस उपकरण का परीक्षण किया।
इस उपकरण का नाम टीबी हॉटस्पॉट डिटेक्टर (टीएचओआर) है। यह इलेक्ट्रोस्टैटिक तकनीक के जरिए सांस में मौजूद एरोसोल को इकट्ठा करता है। इसके बाद इन नमूनों की जांच उसी तरह की जाती है, जैसा कि बलगम के नमूने में बैक्टीरिया खोजने के लिए की जाती है। इस जांच को एक्सपर्ट एमटीबी/आरआईएफ अल्ट्रा तकनीक कहा जाता है।
शोध में पता चला कि जिन मरीजों की बलगम जांच पॉजिटिव थी, उनमें से करीब 47 प्रतिशत में सांस की हवा से भी टीबी का डीएनए पाया गया।
वहीं, जिन मरीजों के बलगम में बैक्टीरिया की मात्रा ज्यादा थी, उनके सांस के नमूनों में टीबी की पहचान की संवेदनशीलता बढ़कर 57 प्रतिशत हो गई। इस जांच में सही पहचान करने की क्षमता 77 प्रतिशत पाई गई।
शोध में यह भी पता चला कि पुरुष जिनके बलगम में बैक्टीरिया ज्यादा थे, उनमें हवा से टीबी का पता लगना ज्यादा आसान था। इसके विपरीत जिन मरीजों को बुखार था, उनमें सांस की हवा से टीबी का पता लगना थोड़ा मुश्किल था।
कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट के ग्लोबल पब्लिक हेल्थ विभाग के शोधकर्ता जय अचर ने कहा, ''यह खोज टीबी के संक्रमण और फैलाव को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है। खासकर उस स्थिति में, जहां बलगम लेना मुश्किल होता है। यह नया तरीका संक्रमण का पता जल्दी लगाने में मदद करेगा। इससे टीबी के मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा और बीमारी के फैलाव को रोका जा सकेगा।''
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Created On :   9 Oct 2025 4:40 PM IST