राजनीति: जातिगत जनगणना से दलित, पिछड़ा और पसमांदा वर्ग का होगा उत्थान दानिश आजाद अंसारी

जातिगत जनगणना से दलित, पिछड़ा और पसमांदा वर्ग का होगा उत्थान  दानिश आजाद अंसारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। केंद्र की मोदी सरकार ने इस बैठक में जाति जनगणना कराने का भी फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले पर योगी सरकार के मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने खुशी जाहिर की।

लखनऊ, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। केंद्र की मोदी सरकार ने इस बैठक में जाति जनगणना कराने का भी फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले पर योगी सरकार के मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने खुशी जाहिर की।

दानिश आजाद अंसारी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जातिगत जनगणना का फैसला ऐतिहासिक है। यह फैसला राष्ट्र के नवनिर्माण में अत्यंत सार्थक सिद्ध होगा। इस जनगणना से पिछड़ा समाज, दलित समाज और पसमांदा वर्ग के उत्थान के नए रास्ते खुलेंगे और नई योजनाएं बनेंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा देश के विकास और उत्थान को सर्वोपरि रखा है। यह ऐतिहासिक फैसला देश की सेवा के भाव से लिया गया है, जिसका पूरा देश स्वागत करता है।

उन्होंने आगे कहा कि हमें पूर्ण विश्वास है कि इस जनगणना के बाद विकसित भारत 2047 के हमारे संकल्प को न केवल और मजबूती मिलेगी, बल्कि इस संकल्प के रास्ते पर हमारा देश तेजी से आगे बढ़ेगा।

बता दें कि मोदी कैबिनेट ने बुधवार को जाति जनगणना को मंजूरी दे दी। सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया। 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई। जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है।

उन्होंने आगे कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। तत्पश्चात एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाय, सर्वे कराना ही उचित समझा, जिसे सीईसीसी के नाम से जाना जाता है। इन सब के बावजूद कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दलों ने जाति जनगणना के विषय को केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया।

वैष्णव ने आगे कहा कि इस प्रकार के सर्वे से समाज में भ्रांति फैली है। इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करते हुए कि हमारा सामाजिक ताना-बाना राजनीति के दबाव में न आए, जातियों की गणना एक सर्वे के स्थान पर मूल जनगणना में ही सम्मिलित होनी चाहिए। इससे समाज आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत होगा और देश की भी निर्बाध प्रगति होती रहेगी। पीएम मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाएगा।

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Created On :   30 April 2025 10:41 PM IST

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