राजनीति: कानून तोड़ने का अधिकार किसी को भी नहीं वर्षा गायकवाड

कानून तोड़ने का अधिकार किसी को भी नहीं  वर्षा गायकवाड
महाराष्ट्र के बुलढाना से विधायक संजय गायकवाड विवादों में आ गए हैं। शिवसेना विधायक गायकवाड़ का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कैंटीन के कर्मचारी को थप्‍पड़ मारते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्‍होंने कैंटीन पर खराब खाना परोसने का आरोप लगाया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड ने कहा कि कानून तोड़ने का अधिकार किसी को भी नहीं है।

मुंबई, 9 जुलाई (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के बुलढाना से विधायक संजय गायकवाड विवादों में आ गए हैं। शिवसेना विधायक गायकवाड़ का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कैंटीन के कर्मचारी को थप्‍पड़ मारते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्‍होंने कैंटीन पर खराब खाना परोसने का आरोप लगाया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड ने कहा कि कानून तोड़ने का अधिकार किसी को भी नहीं है।

कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि विधायक संजय गायकवाड को हम सभी जानते हैं, तलवार लहराना और कानून को हाथ में लेना शोभा नहीं देता, अगर आपको किसी कानून से आपत्ति है तो आप सरकार में हैं, शिकायत कीजिए, कानून बदलिए, लेकिन कानून तोड़िए मत। जब कानून बनाने वाले खुद ही नियम तोड़ेंगे तो आम आदमी को राशन की दुकान पर भी मारपीट करनी पड़ेगी, क्‍योंकि वहां का सामान भी ठीक नहीं होता है। ऐसे कृत्य के लिए संजय गायकवाड को माफ नहीं किया जा सकता।"

महाराष्ट्र में हिंंदी भाषा को लेकर काफी विवाद हुआ है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद निशिकांत दुबे के मराठी-हिंदी विवाद पर दिए बयान को लेकर वर्षा गायकवाड ने कहा कि निशिकांत दुबे पूरी तरह राजनीति कर रहे हैं। बिहार की राजनीति में महाराष्ट्र को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्‍होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र कितना बड़ा राज्य है, यह राज्‍य कितना रेवेन्यू देता है, ये उन्हें शायद पता नहीं। निशिकांत दुबे को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि आप सांसद हैं, तो शांति बनाए रखिए। ये कौन सी औकात दिखाने की भाषा है?

वर्षा गायकवाड ने निशिकांत पर निशाना साधते हुए कहा कि "आप महाराष्ट्र से नहीं हैं तो फिर आप हमारी मराठी अस्मिता का अपमान क्यों कर रहे हैं? देश के प्रधानमंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को इस पर स्पष्ट स्टैंड लेना चाहिए। यह महाराष्ट्र का अपमान है और मराठी मानुष इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। राज्‍य में सभी भाषाओं को सम्‍मान है, लेकिन मराठी का अपमान सहन नहीं होगा।"

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Created On :   9 July 2025 8:19 PM IST

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