राजनीति: जगदीप धनखड़ का इस्तीफा हैरानी भरा, उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना वारिस पठान

उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने हैरानी जताते हुए कहा कि आखिरकार उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया, यह सबसे बड़ा सवाल है।

मुंबई, 22 जुलाई (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने हैरानी जताते हुए कहा कि आखिरकार उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया, यह सबसे बड़ा सवाल है।

उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि जगदीप धनखड़ राज्यसभा के चेयरमैन थे। उन्होंने इस्तीफा दिया। क्यों दिया, अब ये उनका निजी मामला है। हम प्रार्थना करेंगे कि उनका स्वास्थ्य जल्दी से ठीक हो जाए। कल शाम तक तो सबने देखा कि वो बिल्कुल ठीक लग रहे थे, तो अचानक ऐसा क्या हुआ कि उनकी तबीयत बिगड़ गई और आखिरकार उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इससे सवाल तो उठते हैं।

उन्होंने कहा कि उनका कार्यकाल अभी दो साल बाकी था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया में तमाम तरह की चर्चाएं चल रही हैं। सबसे ऊपर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश का नाम दिख रहा है। कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं। इन सभी अटकलों के बीच हमें जल्द ही पता चल जाएगा कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा।

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर उन्होंने कहा कि एसआईआर को लेकर किसी को एतराज नहीं था, लेकिन जिस तरह से इसे किया जा रहा है, वो गलत है। आपने आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड को दरकिनार कर दिया। इसके अलावा जो दस्तावेज मांगे गए हैं, वो गरीब तबके के लोग कहां से लाएंगे। बिहार के जो श्रमिक हैं, प्रवासी हैं, मुंबई में रहते हैं। कोई दिल्ली और कोई हैदराबाद में तो कोई मद्रास में रहते हैं। वो कहां से कागजात लाएंगे।

उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि चुनाव आयोग को नागरिकता बताने का कोई अधिकार नहीं है। यह गृह मंत्रालय का अधिकार है, इस विषय पर उनको जाना नहीं चाहिए। बिहार में 35 लाख वोटरों के नाम हटा दिए गए हैं। मेरा मानना है कि असंवैधानिक चीजें नहीं होनी चाहिए। हर चीज संविधान के तरीके से चलनी चाहिए। जिनके नाम कट गए तो वो सिटीजनशिप से भी गए, उनका राशन-पानी सब बंद हो गया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार इन लोगों के लिए क्या करेगी?

कांवड़ यात्रा को लेकर उन्होंने कहा कि संविधान सभी को अपनी धार्मिक आस्था का पालन करने का अधिकार देता है। इसका मतलब यह नहीं कि आस्था के नाम पर हिंसा या तोड़फोड़ की जाए। हमारे कांवड़ियों को कांवड़ निकालने का अधिकार है। मुसलमानों को जुलूस निकालने का अधिकार है। लेकिन, आस्था के नाम पर गलत चीजें नहीं होनी चाहिए। कानून सबके लिए समान होना चाहिए और किसी को भी अपने हाथ में कानून लेने का अधिकार नहीं है।

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Created On :   22 July 2025 7:24 PM IST

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