स्वास्थ्य/चिकित्सा: ब्रेस्ट पंप सुविधा भी, जिम्मेदारी भी– जानिए कैसे करें इस्तेमाल

ब्रेस्ट पंप सुविधा भी, जिम्मेदारी भी– जानिए कैसे करें इस्तेमाल
मां और बच्चे के बीच का रिश्ता सबसे प्यारा और गहरा होता है। इस रिश्ते की पहली कड़ी होता है मां का दूध, जो न केवल बच्चे को पोषण देता है, बल्कि उसे मां के प्यार और सुरक्षा का भी एहसास कराता है। लेकिन कभी-कभी हालात ऐसे बन जाते हैं जब मां चाहकर भी अपने बच्चे को खुद दूध नहीं पिला पाती। ऐसे समय में ब्रेस्ट पंप सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि मां की ममता का एक जरिया बन जाता है। इसकी मदद से मां अपना दूध निकालकर बोतल में स्टोर कर सकती है और बच्चे को बाद में पिला सकती है। यह खास तौर पर कामकाजी महिलाओं, बीमार मां या समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल सही तरीके से और सावधानी के साथ करना जरूरी है, ताकि मां और बच्चे दोनों को इसका पूरा फायदा मिल सके।

नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। मां और बच्चे के बीच का रिश्ता सबसे प्यारा और गहरा होता है। इस रिश्ते की पहली कड़ी होता है मां का दूध, जो न केवल बच्चे को पोषण देता है, बल्कि उसे मां के प्यार और सुरक्षा का भी एहसास कराता है। लेकिन कभी-कभी हालात ऐसे बन जाते हैं जब मां चाहकर भी अपने बच्चे को खुद दूध नहीं पिला पाती। ऐसे समय में ब्रेस्ट पंप सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि मां की ममता का एक जरिया बन जाता है। इसकी मदद से मां अपना दूध निकालकर बोतल में स्टोर कर सकती है और बच्चे को बाद में पिला सकती है। यह खास तौर पर कामकाजी महिलाओं, बीमार मां या समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल सही तरीके से और सावधानी के साथ करना जरूरी है, ताकि मां और बच्चे दोनों को इसका पूरा फायदा मिल सके।

नोएडा स्थित सीएचसी भंगेल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. मीरा पाठक के अनुसार, ब्रेस्ट पंप कुछ खास परिस्थितियों में माताओं के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है। सबसे पहले, यह कामकाजी महिलाओं के लिए एक उपयोगी समाधान है, क्योंकि वे इससे अपना दूध निकालकर स्टोर कर सकती हैं और बच्चे को समय पर दूध मिल पाता है। दूसरा, प्रीमेच्योर शिशुओं के लिए भी यह बहुत सहायक होता है, क्योंकि ऐसे बच्चों को स्तनपान करना नहीं आता या वे दूध ठीक से नहीं पी पाते। साथ ही, अगर बच्चा किसी बीमारी जैसे पीलिया के कारण अस्पताल में भर्ती हो, तो मां ब्रेस्ट पंप के जरिए दूध निकालकर शिशु को दे सकती है।

इसके अलावा, यदि मां को दूध पिलाने में कोई परेशानी हो, जैसे निप्पल में क्रैक या स्तन में सूजन (मैस्टाइटिस) जैसी समस्या हो, तो भी ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं अगर मां सफर कर रही हो, वह बीमार हो या स्तनपान कराने में असहज महसूस कर रही हो, तब भी यह एक सुविधाजनक विकल्प बन जाता है। इस तरह, ब्रेस्ट पंप न केवल मां की सुविधा बढ़ाता है, बल्कि बच्चे को समय पर पोषण उपलब्ध कराने में भी अहम भूमिका निभाता है।

डॉ. मीरा पाठक ने बताया कि ब्रेस्ट पंप दूध निकालने का एक पावरफुल तरीका है, इसलिए इसका सही तरीके से इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। अगर ब्रेस्ट पंप का गलत तरीके से उपयोग किया जाए तो इससे कई परेशानियां हो सकती हैं, जैसे स्तन में सूजन या दर्द, निप्पल में दरारें, और यहां तक कि निप्पल से खून आना भी संभव है। इसके अलावा, ब्रेस्ट पंप के इस्तेमाल से बच्चे को नेचुरल तरीके से स्तनपान करना सीखने में दिक्कत हो सकती है क्योंकि उसे आसानी से बोतल से दूध मिल जाता है।

उन्होंने यह भी बताया कि बच्चे के निप्पल को लैच करके दूध पीने और ब्रेस्ट पंप से दूध निकालने की प्रक्रिया में काफी अंतर होता है। बच्चे के निप्पल लैच करने से मां के स्तनों में दूध का उत्पादन बेहतर होता है, जबकि ब्रेस्ट पंप के अधिक इस्तेमाल से दूध का उत्पादन कम हो सकता है। इसलिए ब्रेस्ट पंप का उपयोग संतुलित और सावधानी से करना चाहिए। साथ ही, ब्रेस्ट पंप की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान देने की सलाह दी है। अगर ब्रेस्ट पंप को ठीक से साफ नहीं किया गया तो इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

डॉ. मीरा पाठक ने कहा कि ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि यह सुरक्षित और प्रभावी तरीके से किया जा सके।

डॉक्टर की सलाह के अनुसार, सबसे पहले, मां को अपने ब्रेस्ट साइज के अनुसार सही ब्रेस्ट पंप का चयन करना चाहिए, क्योंकि गलत साइज के पंप से असुविधा हो सकती है। दूसरा, ब्रेस्ट पंप को हर दिन एक ही निर्धारित समय पर उपयोग करना चाहिए, ताकि शरीर दूध के उत्पादन की नियमितता बनाए रख सके।

पंप के इस्तेमाल से पहले और बाद में ब्रेस्ट की हल्की मसाज करना भी जरूरी है; इससे दूध बहने में मदद मिलती है और जाम होने की संभावना कम होती है। एक बार में 50 मिलीलीटर से ज्यादा दूध न निकालने की सलाह दी जाती है। साथ ही, निकाले गए दूध को सही तरीके से स्टोर करना भी बेहद जरूरी है। अगर दूध को रूम टेम्परेचर पर रखा जाए, तो यह 4 घंटे तक सुरक्षित रहता है, जबकि फ्रिज में स्टोर किया गया दूध 4 दिन तक उपयोग के लिए सुरक्षित होता है।

उन्होंने यह भी बताया कि अगर ब्रेस्ट में दर्द, सूजन, या दूध का बहाव कम हो रहा हो, या पंप से दूध निकालने की प्रक्रिया समझ नहीं आ रही हो, तो ऐसी स्थिति में बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इन सावधानियों का पालन कर ब्रेस्ट पंप को सुरक्षित और लाभकारी तरीके से उपयोग में लाया जा सकता है।

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Created On :   3 Aug 2025 3:46 PM IST

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