राजनीति: बिहार विधानसभा चुनाव बायसी की बड़ी चुनौती बाढ़, विकास का मुद्दा भी अहम

बिहार की राजनीति में सीमांचल के पूर्णिया जिले में स्थित बायसी विधानसभा सीट खास पहचान रखती है। यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है और कनकई व परमान नदी से घिरा हुआ है। हर साल मानसून में आने वाली बाढ़ यहां की सबसे बड़ी चुनौती है, जिसने दशकों से स्थानीय विकास को थाम रखा है।

पटना, 8 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार की राजनीति में सीमांचल के पूर्णिया जिले में स्थित बायसी विधानसभा सीट खास पहचान रखती है। यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है और कनकई व परमान नदी से घिरा हुआ है। हर साल मानसून में आने वाली बाढ़ यहां की सबसे बड़ी चुनौती है, जिसने दशकों से स्थानीय विकास को थाम रखा है।

पलायन, बेरोजगारी, और खेती-किसानी पर निर्भर आजीविका यहां के लोगों की मुख्य पहचान है। दशकों से बाढ़ का दंश झेलने वाली बायसी की जनता को आज भी समाधान की तलाश है। इस पूरे इलाके ने तरक्की की तस्वीर भी नहीं देखी। पलायन भी यहां की प्रमुख समस्याओं में से एक है।

यह बिहार की मुस्लिम बहुल सीटों में गिनी जाती है, लेकिन अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदू मतदाता यहां हार-जीत का पासा पलटने की ताकत रखते हैं। आमतौर पर सभी दल मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारते हैं, जिससे मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो जाता है और ऐसे में हिंदू वोट निर्णायक साबित होते हैं।

राजनीतिक इतिहास में देखें तो पिछले पांच चुनावों में सत्ता का समीकरण कई बार बदला है। फरवरी 2005 में आरजेडी के अब्दुल सुबहान, अक्टूबर 2005 में निर्दलीय सैयद रुकनुद्दीन, 2010 में बीजेपी के संतोष कुमार, 2015 में फिर अब्दुल सुबहान (आरजेडी), और 2020 में एआईएमआईएम के सैयद रुकनुद्दीन ने जीत दर्ज की। रुकनुद्दीन 2020 में एआईएमआईएम के टिकट पर जीते, लेकिन 2022 में उन्होंने पार्टी छोड़कर आरजेडी का दामन थाम लिया। पिछले चुनाव में 12 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन तीन को छोड़कर सभी की जमानत जब्त हो गई थी।

बायसी विधानसभा सीट का इतिहास काफी विविध रहा है। 1951 और 1957 में कांग्रेस के अब्दुल अहद मोहम्मद नूर लगातार दो बार विधायक बने। 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के हसीबउर रहमान ने जीत हासिल की और वे भी दो बार विधायक रहे। अब्दुस सुबहान इस सीट से पांच बार विधायक रहे, जिन्होंने आखिरी बार 2015 में आरजेडी के टिकट पर जीत दर्ज की।

पार्टीवार देखें तो कांग्रेस ने चार बार, आरजेडी ने तीन बार और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो बार जीत हासिल की। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल, लोकदल, एआईएमआईएम और बीजेपी ने एक-एक बार जीत दर्ज की, लेकिन जेडीयू को अभी तक इस सीट पर जीत नहीं मिली है।

2024 के आंकड़ों के अनुसार (ईसीआई), अमौर विधानसभा क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्या 545249 है, जिनमें 280052 पुरुष और 265197 महिलाएं शामिल हैं। इस सीट पर कुल 324576 मतदाता हैं, जिनमें 168179 पुरुष, 156384 महिलाएं और 13 थर्ड जेंडर हैं।

2025 के चुनाव में यहां मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। एक तरफ आरजेडी के साथ अब सैयद रुकनुद्दीन का अनुभव और पहचान होगी, तो दूसरी तरफ बीजेपी, कांग्रेस और एआईएमआईएम जैसे दल अपने-अपने समीकरण साधने की कोशिश करेंगे। मुस्लिम वोटों के बंटवारे और हिंदू मतदाताओं की भूमिका यहां फिर से निर्णायक बन सकती है। जनता के मन में बाढ़, पलायन और विकास जैसे मुद्दे अभी भी जीवंत हैं, और यही तय करेगा कि इस बार बायसी में बाजी किसके हाथ लगेगी।

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Created On :   8 Aug 2025 1:12 PM IST

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