विज्ञान/प्रौद्योगिकी: शुभांशु शुक्ला के स्पेस बैज में गढ़ी भारत की विज्ञान गाथा, लखनऊ के डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने किया तैयार

शुभांशु शुक्ला के स्पेस बैज में गढ़ी भारत की विज्ञान गाथा, लखनऊ के डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने किया तैयार
अंतरिक्ष की ऐतिहासिक यात्रा कर लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने जहां पूरे देश का मान बढ़ाया, वहीं उनके साथ गया मिशन बैज भी चर्चा का विषय बना हुआ है। यह बैज, भारत की वैज्ञानिक यात्रा और सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए एक अनूठा प्रतीक है। इसे राजधानी लखनऊ के डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने तैयार किया है, जिन्होंने बताया कि उनके लिए यह केवल एक डिजाइन नहीं, बल्कि राष्ट्र को समर्पित एक संकल्प रहा।

लखनऊ, 27 अगस्त (आईएएनएस)। अंतरिक्ष की ऐतिहासिक यात्रा कर लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने जहां पूरे देश का मान बढ़ाया, वहीं उनके साथ गया मिशन बैज भी चर्चा का विषय बना हुआ है। यह बैज, भारत की वैज्ञानिक यात्रा और सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए एक अनूठा प्रतीक है। इसे राजधानी लखनऊ के डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने तैयार किया है, जिन्होंने बताया कि उनके लिए यह केवल एक डिजाइन नहीं, बल्कि राष्ट्र को समर्पित एक संकल्प रहा।

आईएएनएस से विशेष बातचीत में मनीष ने कहा कि इस बैज को डिजाइन करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सुकून है। इसमें भारत की विज्ञान यात्रा, अध्यात्म और राष्ट्रवाद को साथ लेकर चलने की कोशिश की गई है। इस बैज में कई प्रतीकात्मक चित्र उकेरे गए हैं: 'पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट, उगता सूरज, खगोलीय वेधशाला और ऐतिहासिक जंतर मंतर, गगनयान मिशन और अनंत खोज की निशानी 'इन्फिनिटी' साइन।'

इसके केंद्र में एक अंतरिक्ष यात्री के हेलमेट आकार का ग्लोब है, जिसकी ठोड़ी पर भारत का नक्शा अंकित है। मनीष ने कहा कि यह बैज यह दर्शाता है कि भारत की पहचान अंतरिक्ष अन्वेषण की हर उड़ान में साथ है। उन्होंने बताया कि हनुमान जी को मैं पहला अंतरिक्ष यात्री मानता हूं, इसलिए इस 'बैज में पौराणिक और आधुनिक इतिहास की साझा झलक' है। इसमें विज्ञान और अध्यात्म दोनों का संतुलन दिखाने का प्रयास है।

मनीष त्रिपाठी ने इस बैज को नि:शुल्क डिज़ाइन किया और इसे बनाने में तीन से चार माह का समय लगा। उन्होंने कहा कि उनके लिए पैसा प्राथमिकता नहीं, बल्कि राष्ट्र सेवा सर्वोपरि है। वे पहले भी अयोध्या में विराजमान प्रभु श्रीरामलला, राम दरबार, अन्नपूर्णा माता और दुर्गा माता के विग्रह की पोशाक डिजाइन कर चुके हैं।

उन्होंने बताया कि बैज बेहद हल्का और तकनीकी मानकों के अनुरूप तैयार किया गया है। इसरो की सलाह पर इसका आकार छोटा रखा गया, लेकिन इसमें भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों की पूरी गाथा संजो दी गई। यह बैज अंतरिक्ष जाकर लौटा और अब राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सहित कई गणमान्य व्यक्तियों को भेंट किया गया है। मनीष ने खुलासा किया कि इसरो के मिशन बैज डिज़ाइन करने के लिए उनका नाम खुद ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने सुझाया था। दोनों के बीच पुराने परिचितों के ज़रिए संपर्क हुआ। दोनों सीएमएस स्कूल अलीगंज में पढ़े हैं। उन्होंने गर्व से कहा कि शुभांशु हमारे सीनियर रहे हैं। उनका यह भरोसा मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह बैज अब इतिहास का हिस्सा बन चुका है।

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Created On :   27 Aug 2025 10:58 AM IST

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