राष्ट्रीय: दिल्ली उपराज्यपाल के फैसले का बढ़ा विरोध, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने अधिसूचना वापस लेने की मांग की

दिल्ली उपराज्यपाल के फैसले का बढ़ा विरोध, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने अधिसूचना वापस लेने की मांग की
दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना को लेकर विरोध बढ़ता ही जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के बाद अब दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी उपराज्यपाल द्वारा जारी नोटिफिकेशन का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने उपराज्यपाल से इस अधिसूचना को वापस लेने की मांग की है।

नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना को लेकर विरोध बढ़ता ही जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के बाद अब दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी उपराज्यपाल द्वारा जारी नोटिफिकेशन का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने उपराज्यपाल से इस अधिसूचना को वापस लेने की मांग की है।

एसोसिएशन ने बुधवार को एक पत्र जारी कर कहा, "दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति 13 अगस्त 2025 को दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा जारी नोटिफिकेशन का सर्वसम्मति से कड़ा विरोध करती है। इस नोटिफिकेशन में पुलिस कर्मियों या अधिकारियों के साक्ष्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दर्ज करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग स्टेशनों को 'नियत स्थान' घोषित किया गया है।"

एसोसिएशन ने इस नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग करते हुए अपने सदस्यों से आग्रह किया है कि वे विरोध के प्रतीक के रूप में कोर्ट में उपस्थित होने के दौरान काली रिबन पहनें। यह विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक उक्त नोटिफिकेशन वापस नहीं लिया जाता।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने दिल्ली की निचली अदालतों में चल रही हड़ताल का समर्थन करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा 13 अगस्त 2025 को जारी एक अधिसूचना की निंदा की थी।

एससीबीए के अध्यक्ष और कार्यकारी समिति ने 22 अगस्त को पारित एक प्रस्ताव में इस अधिसूचना को 'मनमाना, गैरकानूनी और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ' करार दिया।

एसोसिएशन का मानना है कि यह कदम न केवल न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता को कमजोर करता है, बल्कि न्याय के निष्पक्ष प्रशासन और व्यापक जनहित को भी प्रभावित करता है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि यह अधिसूचना न्यायपालिका की स्वतंत्रता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। एससीबीए ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए संबंधित अधिकारियों से इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है ताकि न्याय और कानून के शासन को बनाए रखा जा सके।

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Created On :   27 Aug 2025 3:11 PM IST

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