रक्षा: भारत–अमेरिका ‘युद्ध अभ्यास’ दोनों देशों की सेनाएं कर रही हैं आधुनिक व इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का अभ्यास

भारत–अमेरिका ‘युद्ध अभ्यास’ दोनों देशों की सेनाएं कर रही हैं आधुनिक व इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का अभ्यास
भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच अलास्का में एक बड़ा सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास 2025’ चल रहा है। इस युद्धाभ्यास में इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, निगरानी, काउंटर-ड्रोन सिस्टम व अन्य मानव रहित हवाई प्रणालियों के इस्तेमाल और इनसे निपटने के तरीकों समेत आधुनिक युद्ध का अभ्यास किया जा रहा है। इसके अंतर्गत दोनों सेनाओं द्वारा पहाड़ी और उच्च हिमाच्छादित क्षेत्रों में प्रशिक्षण ऑपरेशन किए जा रहे हैं।

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच अलास्का में एक बड़ा सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास 2025’ चल रहा है। इस युद्धाभ्यास में इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, निगरानी, काउंटर-ड्रोन सिस्टम व अन्य मानव रहित हवाई प्रणालियों के इस्तेमाल और इनसे निपटने के तरीकों समेत आधुनिक युद्ध का अभ्यास किया जा रहा है। इसके अंतर्गत दोनों सेनाओं द्वारा पहाड़ी और उच्च हिमाच्छादित क्षेत्रों में प्रशिक्षण ऑपरेशन किए जा रहे हैं।

हेलीबोर्न एवं एयर-मोबिलिटी ऑपरेशन भी इसका हिस्सा हैं। इन अभियानों में तोपखाने व एविएशन जैसे संसाधनों के साथ दोनों देशों की सेनाओं द्वारा संयुक्त युद्धाभ्यास हो रहा है। वहीं मिस्र में चल रहे सैन्य अभ्यास, ब्राइट स्टार में भी भारत, अमेरिका में मिस्र, इटली आदि देश संयुक्त सैन्य अभ्यास कर रहे हैं। अमेरिका में आयोजित ‘युद्ध अभ्यास 2025’ में भारत व अमेरिका की सेना मैदानी परिस्थितियों में मेडिकल इवैक्यूएशन और कॉम्बैट कैजुअल्टी केयर जैसे महत्वपूर्ण अभियानों को अंजाम दे रही है। यहां लाइव-फायरिंग व सामरिक अभ्यास भी आयोजित किए गए हैं जिससे दोनों सेनाओं की अंतर-संचालनीयता को परखा व मजबूत किया जाएगा।

गौरतलब है कि भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच सबसे बड़ा वार्षिक सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास’ का 21वां संस्करण 01 सितम्बर को फोर्ट वेनराइट, अलास्का में आरंभ हुआ था। यह संयुक्त सैन्य अभ्यास 14 सितम्बर तक चलेगा। यहां भारतीय सेना की टुकड़ी में 450 सैनिक शामिल हैं, जिसका नेतृत्व मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन कर रही है। अभ्यास में भारतीय सैनिक अमेरिका की 11वीं एयरबॉर्न डिविजन (आर्कटिक वोल्व्स) की फर्स्ट बटालियन, पांचवी इन्फैंट्री रेजिमेंट के साथ प्रशिक्षण ले रहे हैं।

वर्ष 2025 का यह संस्करण, भारतीय सेना की भागीदारी की दृष्टि से सबसे बड़े द्विपक्षीय अभ्यासों में से एक है। ‘युद्ध अभ्यास’ की शुरुआत वर्ष 2002 में एक पलटन-स्तर के अभ्यास के रूप में हुई थी। समय के साथ यह लगातार विस्तृत होता गया और आज यह एक उच्च-स्तरीय सामरिक अभ्यास बन चुका है। भारत में इसके विभिन्न संस्करण औली और चौबटिया (उत्तराखंड) की ऊंचाइयों तथा राजस्थान के रेगिस्तानों में आयोजित हो चुके हैं। अमेरिका में यह अभ्यास जॉइंट बेस लुइस-मैककॉर्ड (वॉशिंगटन राज्य) और अलास्का जैसे कठिन भौगोलिक व जलवायु क्षेत्रों में हुआ है।

आज ‘युद्ध अभ्यास’ भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग का ध्वजवाहक अभ्यास बन चुका है। यह न केवल दोनों सेनाओं के बीच आपसी तालमेल और भरोसा बढ़ाता है, बल्कि व्यापक सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत, अमेरिका के साथ सबसे अधिक संयुक्त सैन्य अभ्यास करता है। इन अभ्यासों में युद्ध अभ्यास, मलाबार, कोप इंडिया, वज्र प्रहार, टाइगर ट्रायम्फ आदि शामिल हैं। इन अभ्यासों के माध्यम से दोनों लोकतांत्रिक राष्ट्र इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं।

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार ‘युद्ध अभ्यास 2025’ भारत और अमेरिका की सेनाओं की क्षमता, आपसी भरोसे और सामरिक साझेदारी को नई ऊर्जा प्रदान कर रहा है। यह न केवल सैन्य सहयोग का प्रतीक है बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के प्रति साझा प्रतिबद्धता का भी द्योतक है।

--आईएएनएस

जीसीबी/एएस

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Created On :   7 Sept 2025 3:42 PM IST

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