संस्कृति: रंगों वाली भक्ति जानिए नवरात्रि के नौ रंग और उनका देवी स्वरूपों से संबंध

रंगों वाली भक्ति जानिए नवरात्रि के नौ रंग और उनका देवी स्वरूपों से संबंध
नवरात्रि सिर्फ व्रत और पूजा का पर्व नहीं है। यह आत्मा के रंगों को देवी के रूप में देखने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का समय भी है। हर दिन एक देवी, हर देवी एक भाव, और हर भाव का एक रंग। यही है 'रंगों वाली नवरात्रि' की असली आत्मा। हालांकि देवी पुराण या धार्मिक ग्रंथों में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन जब प्रश्न आस्था का हो और मां के गुणों का हो, तो भक्त खुद को कैसे अलग रख पाएगा?

नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। नवरात्रि सिर्फ व्रत और पूजा का पर्व नहीं है। यह आत्मा के रंगों को देवी के रूप में देखने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का समय भी है। हर दिन एक देवी, हर देवी एक भाव, और हर भाव का एक रंग। यही है 'रंगों वाली नवरात्रि' की असली आत्मा। हालांकि देवी पुराण या धार्मिक ग्रंथों में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन जब प्रश्न आस्था का हो और मां के गुणों का हो, तो भक्त खुद को कैसे अलग रख पाएगा?

तो आइए देखें किस दिन किस देवी की पूजा होती है और उनके गुणों के अनुसार कौन‑सा रंग उनके लिए उपयुक्त होता है!

शैलपुत्री- प्रतिपदा को नौ दुर्गे के प्रथम रूप देवी शैलपुत्री का पूजन होता है। देवी पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जो स्थिरता, शक्ति और नए आरंभ की प्रतीक हैं। शायद इसलिए पीले रंग से शुरुआत होती है, ऐसा रंग जिससे जीवन में उत्साह, ऊर्जा और सकारात्मक सोच का संचार होता है, ठीक वैसे जैसे सूरज की पहली किरण होती है।

द्वितीया को मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप को पूजा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी कठोर तप की देवी हैं। उनका जीवन संयम, साधना और अध्यात्म से जुड़ा है इसलिए हरा रंग उनकी पहचान है। ऐसा रंग जो शांति और आत्म-संयम का प्रतीक है।

तृतीया को मां चंद्रघंटा की आराधना होती है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है और इसलिए उनको ये नाम मिला है। उनके दस हाथ हैं जिनमें शस्त्र होते हैं और उनका वाहन सिंह है। मां शांति, स्थिरता और जमीन से जुड़ी हैं, इसलिए ग्रे या स्लेटी रंग, जो संतुलन का माना जाता है, भक्तगण पहनने की कोशिश करते हैं। यह रंग संतुलन के साथ ही सौम्यता का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो मां चंद्रघंटा के गुणों से मेल खाता है, जहां शक्ति भी है और शांति भी।

चतुर्थी को मात कूष्मांडा पूजी जाती हैं। मां ब्रह्मांड की रचयिता और आदिशक्ति मानी जाती हैं। उनके गुणों से नारंगी रंग मेल खाता है, जो सृजन और शक्ति का रंग है। यह आत्मविश्वास, क्रिएटिविटी और ऊर्जावान जीवन का प्रतीक है।

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है। ममता निश्चल होती है, इसलिए इस दिन श्वेत रंग को तरजीह दी जाती है। ये रंग ममता और पवित्रता का है। देवी स्कंदमाता को ममता और करुणा की देवी माना जाता है। और सफेद रंग शांति, सरलता और निर्मलता का प्रतीक है।

षष्ठी मां कात्यायनी को समर्पित है। मां साहस और प्रेम का प्रतीक हैं। उन्होंने असुरों का वध किया था इसलिए साहस और प्रेम का रंग लाल उनके गुणों से मेल खाता है। मां असुरों का वध करने वाली शक्तिशाली देवी हैं। लाल रंग वीरता, प्रेम और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

सप्तमी को कालरात्रि का स्मरण और ध्यान किया जाता है। वह भयंकर अंधकार और भय का विनाश करने वाली देवी हैं, इसलिए उनके इन गुणों को परिलक्षित करता है नीला रंग, ऐसा रंग जो रहस्य के साथ सुरक्षा का भी पर्याय है। गहरा नीला रंग सुरक्षा, गहराई, और आंतरिक शक्ति को दर्शाता है।

ॐ महागौर्यै नमः! अष्टमी को देवी के आठवें स्वरूप, मां महागौरी, की पूजा की जाती है। मां महागौरी सौम्यता और पवित्रता की देवी हैं। गुलाबी रंग कोमलता और कृपा को दर्शाता है। ये रंग करुणा, स्नेह और स्त्रीत्व का रंग है।

नवमी, सिद्धि दायिनी, मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। जैसा कि नाम से विदित होता है, मां का संबंध सिद्धि से है और सिद्धि ज्ञान से ही अर्जित की जा सकती है। मां का ये गुण बैंगनी रंग से मेल खाता है। बैंगनी रंग आध्यात्मिकता, वैभव और ज्ञान का प्रतीक है।

हर रंग के परिधान सिर्फ पहनने की चीज नहीं होते, बल्कि वो एक भाव, एक सोच और मां का आशीर्वाद है। जब हम देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर रंग पहनते हैं, तो सिर्फ तन नहीं, मन भी सजता है। इस बार शारदीय नवरात्रि में आप भी ये करके देखिए।

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Created On :   20 Sept 2025 3:15 PM IST

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