पहले सरकार पेसा एक्ट लागू करने की तारीख बताए, तभी हटेगी बालू और लघु खनिजों के आवंटन पर लगी रोक झारखंड हाईकोर्ट

पहले सरकार पेसा एक्ट लागू करने की तारीख बताए, तभी हटेगी बालू और लघु खनिजों के आवंटन पर लगी रोक झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य की सरकार से फिर पूछा है कि पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया) अधिनियम, 1996 की नियमावली कब तक लागू की जाएगी? चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की बेंच ने इस संबंध में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट और ठोस जवाब नहीं मिलता, तब तक बालू एवं लघु खनिजों के लीज के आवंटन पर कोर्ट की ओर से लगाई गई रोक नहीं हटाई जाएगी।

रांची, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य की सरकार से फिर पूछा है कि पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया) अधिनियम, 1996 की नियमावली कब तक लागू की जाएगी? चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की बेंच ने इस संबंध में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट और ठोस जवाब नहीं मिलता, तब तक बालू एवं लघु खनिजों के लीज के आवंटन पर कोर्ट की ओर से लगाई गई रोक नहीं हटाई जाएगी।

अदालत ने पेसा एक्ट को लागू करने के संबंध में राज्य सरकार को पूरी जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि पंचायती राज विभाग ने पेसा नियमावली का प्रारूप तैयार कर लिया है। पहले उक्त प्रारूप कैबिनेट को-आर्डिनेशन कमेटी को भेजा गया था। आपत्ति आने पर फिर से संशोधित करने के लिए ड्राफ्ट कमेटी को भेजा गया है। वहां से इसे कैबिनेट भेजा जाएगा। सरकार की ओर से बालू सहित लघु खनिज के आवंटन पर लगी रोक को हटाने का आग्रह किया गया।

इस पर अदालत ने कहा कि पेसा एक्ट लागू करने की तिथि की जानकारी दी जाए। झारखंड हाईकोर्ट ने 29 जुलाई 2024 को जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को दो माह के भीतर पेसा नियमावली अधिसूचित करने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि संविधान के 73वें संशोधन और पेसा कानून की भावना के अनुरूप नियमावली तैयार कर लागू की जाए। इसके बाद अब तक नियमावली अधिसूचित नहीं की गई है।

इस पर आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से अदालत में अवमानना याचिका दाखिल की गई है। प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता तान्या सिंह ने पक्ष रखा।

बता दें कि वर्ष 1996 में केंद्र ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम संसद में पारित कराया था। इसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है। अनुसूचित क्षेत्रों वाले ज्यादातर राज्यों में यह कानून लागू हो चुका है। झारखंड में यह कानून तब लागू होगा जब यहां की राज्य सरकार इसके लिए स्थानीय आदिवासी परंपराओं के अनुसार नियमावली को अंतिम रूप देकर उसे अधिसूचित करे। लंबे समय से यह मामला टलता रहा है। वर्ष 2019 और 2023 में राज्य सरकार ने पेसा नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया था, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका है।

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Created On :   4 Dec 2025 10:39 PM IST

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