स्वास्थ्य/चिकित्सा: पीसीओएस महिलाओं की दिमाग पर भी डालता है असर अध्ययन

पीसीओएस महिलाओं की दिमाग पर भी डालता है असर अध्ययन
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस एक आम बीमारी है जो महिलाओं के हार्मोन को प्रभावित करती है। यह सिर्फ शरीर पर ही नहीं, बल्कि दिमाग पर भी असर डाल सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने नए अध्ययन में पाया कि पीसीओएस महिलाओं की ध्यान केंद्रित करने और सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर कर सकता है।

नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस एक आम बीमारी है जो महिलाओं के हार्मोन को प्रभावित करती है। यह सिर्फ शरीर पर ही नहीं, बल्कि दिमाग पर भी असर डाल सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने नए अध्ययन में पाया कि पीसीओएस महिलाओं की ध्यान केंद्रित करने और सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर कर सकता है।

पीसीओएस में आमतौर पर अनियमित पीरियड्स, ओवरी में छोटी-छोटी रसौलियों व गांठों के बनने, पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) के बढ़ने की शिकायत की जाती है।

पहले हुए कुछ शोध में पाया गया कि पीसीओएस पीड़ित महिलाएं तनावग्रस्त रहती हैं, वहीं इस नए अध्ययन ने 'ध्यान केंद्रित' करने की जरूरी मानसिक अवस्था का पता लगाया है । अध्ययन में देखा गया कि पीसीओएस से जूझ रही महिलाएं ध्यान केंद्रित करने में काफी संघर्ष करती हैं। ध्यान की कमी से उनकी सोचने, समझने और किसी भी जानकारी को याद रखने की क्षमता पर असर पड़ सकता है।

आईआईटी बॉम्बे के साइकोफिजियोलॉजी प्रयोगशाला में काम करने वाली मैत्रेयी रेडकर और प्रोफेसर अजीज़ुद्दीन खान ने महिलाओं के दो समूहों का अध्ययन किया। इसमें पीसीओएस से पीड़ित 101 महिलाओं और पूरी तरह से स्वस्थ 72 महिलाओं को शामिल किया गया।

टीम ने अध्ययन शुरू करने से पहले दोनों समूहों की महिलाओं के हार्मोन की जांच की। इसके बाद उन्होंने सभी महिलाओं से 'ध्यान केंद्रित करने से जुड़ी कुछ गतिविधियां' करवाईं। इस दौरान उन्होंने पाया कि पीसीओएस पीड़ित महिलाएं स्वस्थ महिलाओं की तुलना में देर से रिएक्ट कर रही थीं। उनका ध्यान जल्दी भटक जाता था।

अध्ययन में यह पाया गया कि जब पीसीओएस वाली महिलाओं को ध्यान केंद्रित करने वाला टेस्ट दिया गया, तो उन्होंने जवाब देने में 50 प्रतिशत ज्यादा समय लिया और करीब 10 प्रतिशत ज्यादा गलतियां कीं।

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर खान ने कहा, ''यह प्रयोग ऐसे टेस्ट पर आधारित है जो बहुत ही छोटे-छोटे समय यानी मिलिसेकंड्स को भी मापते हैं कि कोई व्यक्ति किसी खास संकेत पर कैसे और कितनी जल्दी प्रतिक्रिया देता है। ये छोटे-छोटे फर्क जो हम आमतौर पर नोटिस नहीं कर पाते, बड़ी कमी को दिखाते हैं। यह कमी हमारे दैनिक जीवन में काम करने की क्षमता पर भी असर डाल सकती है।''

शोधकर्ताओं ने बताया कि पीसीओएस में हार्मोन का असंतुलन होता है, जो हमारे दिमाग की सतर्कता को कम कर प्रतिक्रिया देने का समय बढ़ा सकता है। पीसीओएस पीड़ित महिलाओं में एंड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, और वो इंसुलिन रेसिस्टेंस भी होती हैं। यह इंसुलिन रेसिस्टेंस भी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

इंसुलिन रेसिस्टेंस होने का मतलब है कि शरीर ग्लूकोज को ठीक से नहीं पचा पाता, तो दिमाग के सेल्स (न्यूरॉन्स) को भी कम ऊर्जा मिलती है। दिमाग के सेल्स जब ठीक से काम नहीं करते, तो हमारी ध्यान लगाने और सोचने की क्षमता कमजोर हो जाती है।

पीसीओएस का असर मानसिक स्थिति पर असर डालता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि जब ध्यान एक साथ कई कामों पर ठीक से नहीं लग पाता, तो हमारी याददाश्त कमजोर हो जाती है। अगर यह कमजोर हो जाए, तो रोजमर्रा के काम मुश्किल हो जाते हैं।

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Created On :   26 May 2025 2:29 PM IST

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