विज्ञान/प्रौद्योगिकी: ट्रेडमार्क उल्लंघन विवाद में फोनपे को मिली जीत

ट्रेडमार्क उल्लंघन विवाद में फोनपे को मिली जीत
"फोनपे" ट्रेडमार्क उल्लंघन विवाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मेसर्स अनिकेत फूड्स के खिलाफ फोनपे के पक्ष में आदेश दिया है।

नई दिल्ली, 16 मई (आईएएनएस)। "फोनपे" ट्रेडमार्क उल्लंघन विवाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मेसर्स अनिकेत फूड्स के खिलाफ फोनपे के पक्ष में आदेश दिया है।

उच्च न्यायालय ने 10 अप्रैल, 2024 को फोनपे के पक्ष में आदेश जारी करते हुए मेसर्स अनिकेत फूड्स (इसके एजेंटों, उत्तराधिकारियों, स्टॉकिस्टों, वितरकों, डीलरों या इसके माध्यम से या इसके तहत दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति) को माल विनिर्माण और बिक्री के लिए ट्रेडमार्क का उपयोग करने से रोक दिया था। न्यायालय ने अनिकेत फूड्स के परिसर का दौरा करने और ट्रेडमार्क का उल्लंघन कर बनाए गए सामानों व उपलब्ध स्टॉक की जानकारी लेने के लिए एक विशेष अधिकारी को भी नियुक्त किया।

उक्त विशेष अधिकारी ने 19 अप्रैल को परिसर को दौरा किया और बड़ी मात्रा में "फोनपे" ट्रेडमार्क उल्लंघन वाले उत्पाद/सामग्री पाई।

इसके बाद, मेसर्स अनिकेत फूड्स ने न्यायालय के बाहर समझौते के लिए फोनपे से संपर्क किया और उसके अधिकारों को स्वीकार किया व अपनी अवैध व उल्लंघनकारी गतिविधियों को रोकने की बात कही।

समझौते के तहत मेसर्स अनिकेत फूड्स ने बिना शर्त स्वीकार किया कि, ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999, कॉपीराइट अधिनियम, 1957 और सामान्य कानून सहित सभी उचित कानूनों के तहत फोनपे उक्त ट्रेडमार्क "फोनपे" का सच्चा और वैध मालिक है, और उक्त ट्रेडमार्क विशेष रूप से फोनपे से संबद्ध है।

फोनपे के ट्रेडमार्क "फोनपे", ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 और नियमों के प्रावधानों के तहत अत्यधिक प्रतिष्ठित, विशिष्ट और प्रसिद्ध ट्रेडमार्क है और यह बिना किसी समय सीमा के पूरी तरह से, बिना शर्त और स्थायी रूप से फोन से संबंधित है।

फोनपे उक्त ट्रेडमार्क का पूर्व उपयोगकर्ता है और "फोनपे" चिह्न 'फ़ोन' और 'पी' शब्दों का अद्वितीय संयोजन है।

अनिकेत फूड्स कभी भी, किसी भी सामान या सेवाओं के लिए किसी भी कानून के तहत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, ट्रेडमार्क "फोनपे" में किसी भी मालिकाना अधिकार, ट्रेडमार्क अधिकार, सामान्य कानून अधिकार, या कॉपीराइट का उपयोग और दावा नहीं करेगा और/या उक्त ट्रेडमार्क के समान और/या भ्रामक रूप से किसी भी चिह्न/नाम पर दावा नहीं करेगा।

उच्च न्यायालय ने 10 मई, 2024 को समझौते को अपनी मंजूरी दे दी और केस का फैसला फोनपे के पक्ष में दिया।

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Created On :   16 May 2024 6:28 PM IST

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