जनजातीय गौरव दिवस आदिवासी समुदाय लोकतंत्र की जननी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

जनजातीय गौरव दिवस आदिवासी समुदाय लोकतंत्र की जननी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह में शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने आदिवासी समुदायों के योगदान को याद करते हुए कहा कि भारत का इतिहास उनके बिना अधूरा है और यही समुदाय हमारे लोकतंत्र की सच्ची जननी है।

अंबिकापुर (सरगुजा), 20 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह में शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने आदिवासी समुदायों के योगदान को याद करते हुए कहा कि भारत का इतिहास उनके बिना अधूरा है और यही समुदाय हमारे लोकतंत्र की सच्ची जननी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल के गणराज्यों से लेकर आज तक आदिवासी परंपराओं में लोकतांत्रिक मूल्य जीवंत रहे हैं। बस्तर का मुरिया दरबार इसका जीता-जागता उदाहरण है, जो सदियों से आदिवासियों की अपनी संसद के रूप में काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों में आदिवासी विरासत की जड़ें बहुत गहरी हैं।

उन्होंने खुशी जताई कि छत्तीसगढ़ सरकार ने इस साल 1 से 15 नवंबर तक पूरे राज्य में भव्य स्तर पर आदिवासी गौरव पखवाड़ा मनाया। उन्होंने केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का भी जिक्र किया। पिछले साल गांधी जयंती पर शुरू हुआ ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ देश के 50 मिलियन से ज्यादा आदिवासी भाई-बहनों तक पहुंचेगा। इसी तरह 2023 में शुरू हुआ प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) खास तौर पर 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के विकास के लिए बनाया गया है।

बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर शुरू किए गए ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने बताया कि इसके तहत देशभर में करीब 20 लाख स्वयंसेवकों का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। ये स्वयंसेवक गांव-गांव जाकर आदिवासी समुदायों के विकास में सीधे योगदान देंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में लोग अब उग्र वामपंथी हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त कोशिशों से जल्द ही वामपंथी उग्रवाद का पूरी तरह खात्मा हो जाएगा। हाल ही में हुए बस्तर ओलंपिक्स में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की भागीदारी इसका सुखद संकेत है।

उन्होंने भरोसा दिलाया कि आदिवासी आइकॉनों के आदर्शों पर चलते हुए छत्तीसगढ़ के लोग एक मजबूत, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देंगे। समारोह में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग मौजूद रहे और राष्ट्रपति के संबोधन का तालियों से स्वागत किया।

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Created On :   20 Nov 2025 3:41 PM IST

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