टेक्सास में हनुमान मूर्ति पर रिपब्लिक नेता की टिप्पणी से विवाद, हिंदू समर्थक बोले-वेद पहले आए थे

वाशिंगटन, 23 सितंबर (आईएएनएस)। टेक्सास के एक रिपब्लिकन नेता ने अलेक्जेंडर डंकन ने शुगर लैंड में स्थापित भगवान हनुमान की 90 फुट ऊंची मूर्ति के बारे में अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया है। यह मूर्ति श्री अष्टलक्ष्मी मंदिर परिसर में स्थित है और अमेरिका के सबसे ऊंचे हिंदू स्मारकों में से एक है। इसे वहां 'स्टैच्यू ऑफ यूनियन' के नाम से जाना जाता है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी से जुड़े अलेक्जेंडर डंकन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस मूर्ति को लेकर आपत्ति जताई। डंकन ने मूर्ति का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "हम टेक्सास में एक झूठे हिंदू भगवान की मूर्ति क्यों लगने दे रहे हैं? हम एक ईसाई राष्ट्र हैं।"
इसके बाद एक पोस्ट में, डंकन ने बाइबिल के निर्गमन 20:3-4 का हवाला देते हुए लिखा: "तुम्हें मेरे अलावा किसी और को देवता नहीं मानना चाहिए। तुम्हें अपने लिए किसी भी प्रकार की मूर्ति या आकाश, पृथ्वी या समुद्र में किसी भी चीज की छवि नहीं बनानी चाहिए।"
सोशल मीडिया और धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थकों ने डंकन की इस टिप्पणी की तीखी आलोचना की है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने इन टिप्पणियों को 'हिंदू विरोधी और भड़काऊ' करार दिया और टेक्सास रिपब्लिकन पार्टी से अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आह्वान किया।
पार्टी को संबोधित एक सार्वजनिक बयान में हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) ने लिखा, "क्या आप अपने सीनेट उम्मीदवार को अनुशासित करेंगे, जो आपकी अपनी नीतियों के खिलाफ भेदभाव करता है और हिंदू विरोधी नफरत दिखाता है, साथ ही संविधान के पहले संशोधन के स्थापना खंड का अनादर करता है?"
धार्मिक स्वतंत्रता और सर्वधर्म सम्मान के समर्थकों ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
सोशल मीडिया एक्स पर यूजर जॉर्डन क्राउडर ने कहा, “सिर्फ इसलिए कि आप हिंदू नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं कि आप हिंदू नहीं हैं। ईसा मसीह के धरती पर आने से लगभग 2000 साल पहले वेद लिखे गए थे और ये असाधारण ग्रंथ हैं और ईसाई धर्म पर इनका स्पष्ट प्रभाव है। इसलिए उस 'धर्म' का सम्मान करना और उस पर शोध करना बुद्धिमानी होगी, जो आपके धर्म से पहले का है और उस पर प्रभाव डालता है।”
2024 में अनावरण की जाने वाली स्टैच्यू ऑफ यूनियन की परिकल्पना एक प्रमुख आध्यात्मिक नेता श्री चिन्ना जीयर स्वामीजी ने की थी। यह मूर्ति न केवल भक्ति, बल्कि एकता, सद्भाव और समावेशिता का भी प्रतीक है। यह वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका की तीसरी सबसे ऊंची मूर्ति है और इसने भारतीय-अमेरिकी प्रवासियों और सर्वधर्म समूहों, दोनों का ध्यान आकर्षित किया है।
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Created On :   23 Sept 2025 12:20 PM IST