स्वास्थ्य/चिकित्सा: 'सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन' से जेनेटिक बीमारी पर काबू, समानता और सम्मान की गारंटी पीएमओ

नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)। भारत सरकार का नेशनल सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (एनएससीएईएम) जेनेटिक बीमारी से निपटने के लिए शुरू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य प्रभावित लोगों को समानता और सम्मान प्रदान करना है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को यह बात कही।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पोस्ट पर पीएमओ ने केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के एक मीडिया लेख की सराहना की। यह लेख एनएससीएईएम पर आधारित है, जो साल 2047 तक 'सिकल सेल रोग मुक्त भारत' बनाने का लक्ष्य रखता है।
पीएमओ इंडिया ने एक्स पर पोस्ट किया, "जेनेटिक बीमारी से लड़ाई से लेकर समानता और सम्मान सुनिश्चित करने तक, भारत का नेशनल सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन सार्वजनिक स्वास्थ्य में एक नया युग ला रहा है।"
सिकल सेल रोग एक क्रॉनिक , सिंगल जीन वाली बीमारी है। यह गंभीर डेबीलीटेटिंग सिंड्रोम का कारण बनती है, जिसमें लगातार एनीमिया, तेज दर्द, अंगों में रक्त प्रवाह रुकना और लंबे समय तक अंगों को नुकसान भी शामिल है। इससे जीवन प्रत्याशा काफी कम हो जाती है।
यह जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर रोगी के पूरे जीवन को प्रभावित करता है, क्योंकि इससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
एक्स पर पोस्ट में नड्डा ने कहा, "भारत की सिकल सेल एनीमिया के खिलाफ लड़ाई सिर्फ एक जेनेटिक बीमारी के बारे में नहीं है। ये हाशिए पर रहने वाले समुदायों की समानता, सम्मान और स्वास्थ्य को लेकर हमारी चिंता और समर्पण को भी दर्शाती है।"
एनएससीएईएम को "एक ऐतिहासिक पहल" बताते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह न केवल सिकल सेल रोग के प्रसार को रोकने का लक्ष्य रखता है, बल्कि लाखों प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य और सम्मान बहाल करने का भी लक्ष्य रखता है।
इस बीमारी को खत्म करने के लिए, एनएससीएईएम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई साल 2023 में लॉन्च किया था।
मिशन का लक्ष्य साल 2047 से पहले भारत में सिकल सेल रोग को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में खत्म करना है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 तक प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में 0-40 वर्ष की आयु के 7 करोड़ लोगों की जांच की जाएगी।
नड्डा ने कहा, "जैसे-जैसे भारत 2047 के लक्ष्य की ओर दृढ़ता से बढ़ रहा है, एनएससीएईएम उम्मीद की किरण के रूप में खड़ा है। यह दिखाता है कि जब सरकार, डॉक्टर्स और समुदाय एक साथ काम करते हैं, तो क्या हासिल किया जा सकता है।"
नड्डा के लेख में सरकार की पहलों पर प्रकाश डाला गया है।
इस महीने की शुरुआत में नड्डा ने संसद को बताया कि देश में 6 करोड़ से अधिक लोगों की सिकल सेल एनीमिया के लिए जांच की गई है। इनमें से 2.16 लाख लोगों को रोगी के रूप में पहचाना गया है। उन्होंने कहा कि मिशन के तहत 17 राज्यों में जांच की गई।
इस बीच, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एक्स पोस्ट में बताया कि उनका कम लागत वाला पॉइंट-ऑफ-कॉन्टैक्ट डिवाइस सिकल सेल रोगियों की व्यापक जांच को आसान बना रहा है।
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Created On :   12 Aug 2025 6:08 PM IST