राष्ट्रीय: तेलंगाना हाईकोर्ट ने दो एमएलसी के शपथ ग्रहण पर रोक लगाई

तेलंगाना हाईकोर्ट ने दो एमएलसी के शपथ ग्रहण पर रोक लगाई
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य विधान परिषद के सदस्यों के रूप में एम. कोडंदरम और आमेर अली खान के शपथ ग्रहण पर रोक लगा दी।

हैदराबाद, 30 जनवरी (आईएएनएस)। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य विधान परिषद के सदस्यों के रूप में एम. कोडंदरम और आमेर अली खान के शपथ ग्रहण पर रोक लगा दी।

अदालत ने निर्देश दिया कि अगले आदेश तक एमएलसी की दो रिक्तियों के संबंध में यथास्थिति बनाए रखी जाए।

अंतरिम आदेश न्यायमूर्ति आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एस. नंदा की पीठ ने बीआरएस नेता दासोजू श्रवण कुमार और सत्यनारायण द्वारा दायर याचिकाओं पर पारित किया, जिसमें पिछले साल राज्यपाल द्वारा उनके नामांकन की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी।

अदालत ने यह आदेश याचिकाकर्ताओं की उस याचिका पर सुनाया, जिसमें अदालत ने उनकी याचिकाओं पर फैसला होने तक शपथ ग्रहण रोकने की मांग की थी।

अंतरिम आदेश 8 फरवरी तक लागू रहेगा, जब याचिकाओं पर सुनवाई होगी।

राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने 25 जनवरी को नई राज्य सरकार की सिफारिश पर तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) पी. निवासी एम. कोदंडाराम और पत्रकार आमेर अली खान को राज्यपाल के कोटे के तहत विधान परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया।

कोदंडराम और आमेर अली खान दोनों सोमवार को शपथ लेने के लिए विधान परिषद गए थे, लेकिन चूंकि परिषद के अध्यक्ष गुथा सुकेंदर रेड्डी उपलब्ध नहीं थे, इसलिए वे लगभग तीन घंटे इंतजार करने के बाद लौट आए।

उन्हें बताया गया कि सुखेंदर रेड्डी की तबीयत ठीक नहीं है और उन्होंने मंगलवार को शपथ लेने के लिए समय मांगा।

सत्तारूढ़ कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सुखेंद्र रेड्डी ने जानबूझकर शपथ दिलाने से परहेज किया, क्योंकि वह भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से हैं और श्रवण कुमार और सत्यनारायण की याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी।

इससे पहले, राज्यपाल ने तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा रिट याचिकाओं का निपटारा होने तक राज्यपाल कोटे के तहत दो खाली एमएलसी सीटें नहीं भरने का फैसला किया था, लेकिन बाद में नामांकन कर दिया।

श्रवण कुमार और सत्यनारायण को पिछली बीआरएस सरकार ने विधान परिषद के लिए नामित किया था लेकिन राज्यपाल ने नामांकन खारिज कर दिया था। पिछले साल जुलाई में तत्कालीन राज्य कैबिनेट द्वारा पारित सिफारिश राज्यपाल को भेजी गई थी। हालांकि, उन्होंने 19 सितंबर को इस आधार पर नामांकन खारिज कर दिया कि दोनों "राजनीतिक रूप से जुड़े हुए व्यक्ति" थे।

बीआरएस नेताओं ने पिछले महीने राज्यपाल की कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की थीं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि राज्यपाल द्वारा मंत्रिपरिषद की सिफारिशों को अस्वीकार करने का निर्णय "व्यक्तिगत संतुष्टि की कमी" के कारण था, न कि सिफारिश में किसी अस्पष्टता के कारण, जो कि मनमाना और अवैध है।

याचिकाकर्ताओं ने राज्यपाल द्वारा पारित आदेश को दुर्भावनापूर्ण, मनमाना, असंवैधानिक और उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया।

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Created On :   30 Jan 2024 8:58 PM IST

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