Hindi Live: देवशयनी एकादशी विष्णु जी करेंगे विश्राम, शिव संभालेंगे सृष्टि का कार्यभार!

देवशयनी एकादशी का महत्व पुराणों में विशेष रूप से बताया गया है। इस दिन से भगवान विष्णु विश्राम करते हैं, और पूरी सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं। इसी वजह से चातुर्मास के दौरान भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस अवधि में तपस्या, योग, मंत्र जाप और धार्मिक अनुष्ठान करने से दोगुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। देवशयनी एकादशी का महत्व पुराणों में विशेष रूप से बताया गया है। इस दिन से भगवान विष्णु विश्राम करते हैं, और पूरी सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं। इसी वजह से चातुर्मास के दौरान भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस अवधि में तपस्या, योग, मंत्र जाप और धार्मिक अनुष्ठान करने से दोगुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते हैं, जिसके बाद सृष्टि का संचालन महादेव संभालते हैं। अब भगवान विष्णु देव उठनी एकादशी तक विश्राम करेंगे। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है, जिसमें विवाह समेत सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं।

दृक पंचांग के मुताबिक एकादशी की शुरुआत 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट से पर होगी। वहीं, इसकी समाप्ति 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर होगी। ऐसे में इस साल 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा और इसका पारण अगले दिन किया जाएगा।

व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने के लिए आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित करें, और अब भगवान को धूप, दीप, अक्षत और पीले फूल चढ़ाएं, व्रत कथा सुनें, और भगवान विष्णु की आरती करें। उसके बाद आरती का आचमन करें। इसके बाद दिनभर निराहार रहें और भगवान का ध्यान करें। मंत्र जप और ग्रंथों का पाठ करें। दान-पुण्य करें। गायों की देखभाल करें। गौशाला में धन का दान करें।

जो लोग व्रत नहीं कर पा रहे हैं, वे विष्णु जी की पूजा करें, दान-पुण्य करें, मंत्र जप और ग्रंथों का पाठ करें। बीमार, गर्भवती और बच्चों के लिए व्रत करना जरूरी नहीं होता है; ये लोग पूजा-पाठ करके भी एकादशी व्रत के समान पुण्य कमा सकते हैं।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि (शाम के 6 बजकर 58 मिनट तक) 5 जुलाई को पड़ रही है। दृक पंचांगानुसार, 5 जुलाई को दशमी तिथि शाम के 6 बजकर 58 मिनट तक रहेगी, फिर उसके बाद एकादशी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा और राहूकाल सुबह 8 बजकर 57 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   4 July 2025 9:06 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story