वन्य जीवन: तमिलनाडु वलपराई की रिहायशी बस्तियों में उत्पात मचा रहे हाथी, विभाग ने जारी किया अलर्ट

चेन्नई, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। तमिलनाडु वन विभाग ने कोयंबटूर जिले के वलपराई में जंगल के पास रहने वाले लोगों से रात में बाहर न निकलने की अपील की है। बीते कुछ महीनों में जंगली हाथियों के मानव बस्तियों में घुसने और उत्पात मचाने वाली घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।
वन अधिकारी इस क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं, क्योंकि 17 सदस्यीय झुंड से अलग हुए तीन हाथियों ने सोमवार को वलपराई में मानव बस्तियों पर हमला कर कई लोगों को घायल कर दिया था।
हमलों में चार लोगों के हाथ और पैर फ्रैक्चर हो गए और उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यह घटना कुछ महीने पहले 18 वर्षीय एस. मुकेश की मौत के बाद हुई। वलपराई के पास पुथुकड़ के निवासी मुकेश पर शोलायर बांध की ओर जाते समय एक जंगली हाथी ने जानलेवा हमला किया था।
वलपराई जनरल अस्पताल उसे ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका था। मुकेश की मौत वलपराई के पास अन्नामलाई टाइगर रिजर्व (एटीआर) में एक जंगली हाथी द्वारा एक आदिवासी व्यक्ति रवि को कुचलकर मार डालने के कुछ ही दिनों बाद हुई थी।
पिछले एक साल में, वलपराई क्षेत्र में जंगली हाथियों द्वारा घरों और दुकानों सहित संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कई घटनाएं हुई हैं।
वन अधिकारी इन हमलों का प्रमुख कारण प्राकृतिक आवास का सिकुड़ना है। जंगल सिमट रहे हैं और इंसान वहां पहुंचने लगे हैं। मानव प्रजाति को देखकर हाथी बौखला जाते हैं जिसके कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि हुई है।
जैसे-जैसे हाथियों का वार्षिक प्रवास मौसम वलपराई पठार में अपने चरम पर पहुंचता है, तमिलनाडु वन विभाग, गैर-सरकारी संगठनों और स्थानीय निवासियों के सहयोग से, हाथियों की मुक्त आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए काम करने लगता है।
हालांकि, अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अपने झुंड से भटके हुए हाथी अक्सर आक्रामक हो जाते हैं, जिससे मानव जीवन और संपत्ति को काफी खतरा होता है।
वर्तमान में, लगभग 100 हाथी पठार पर बागान क्षेत्रों से होकर गुजर रहे हैं, जिसमें चाय, कॉफी और इलायची के बागान, साथ ही दलदल, बंजर खेत, नीलगिरी के खेत और बागानों के भीतर बसे जंगल शामिल हैं। जनवरी और फरवरी के बीच प्रवास के चरम पर होने के कारण यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है। केरल से हाथियों के वार्षिक प्रवास के आदी वलपराई निवासियों और बागान श्रमिकों ने जानवरों के साथ नकारात्मक बातचीत को कम करने की रणनीतियां सीख ली हैं।
सितंबर में शुरू होने वाले इस प्रवास में हाथी वलपराई के बागानों और खंडित जंगलों के मोज़ेक परिदृश्य में मार्च में समाप्त होने तक घूमते हैं।
वन अधिकारियों के मुताबिक बारिश, घास की उपलब्धता और मानव व्यवहार जैसे कारक हाथियों के प्रवास पैटर्न को प्रभावित करते हैं।
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Created On :   11 Dec 2024 9:43 AM IST