आतंकवाद: पाकिस्तान ने लगातार सातवें दिन किया संघर्ष विराम का उल्लंघन, भारत ने की जवाबी फायरिंग

पाकिस्तान ने लगातार सातवें दिन किया संघर्ष विराम का उल्लंघन, भारत ने की जवाबी फायरिंग
पाकिस्तानी सेना ने फिर से नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। यह लगातार सातवां दिन है जब पाकिस्तानी सेना द्वारा जम्मू कश्मीर से लगी नियंत्रण रेखा पर फायरिंग की गई है। भारतीय सेना ने बिना किसी देरी के इस फायरिंग का जवाब दिया है।

नई दिल्ली, 1 मई (आईएएनएस)। पाकिस्तानी सेना ने फिर से नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। यह लगातार सातवां दिन है जब पाकिस्तानी सेना द्वारा जम्मू कश्मीर से लगी नियंत्रण रेखा पर फायरिंग की गई है। भारतीय सेना ने बिना किसी देरी के इस फायरिंग का जवाब दिया है।

पाकिस्तानी सेना बीते शुक्रवार से हर रोज नियंत्रण रेखा पर फायरिंग कर रही है। सेना के मुताबिक 30 अप्रैल और 01 मई की रात, पाकिस्तानी सेना की चौकियों ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा, उरी और अखनूर की नियंत्रण रेखा के पार से गोलीबारी की। रोज की ही तरह यह फायरिंग बिना किसी उकसावे के की गई।

पाकिस्तानी सेना ने छोटे हथियारों से यह गोलीबारी की है। भारतीय सेना ने भी इसका उचित जवाब दिया। इससे पहले पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए 29-30 अप्रैल की रात को भी नियंत्रण रेखा के उस पार से भारतीय इलाकों में गोलीबारी की थी।

भारतीय सेना के मुताबिक 29-30 अप्रैल की रात को पाकिस्तानी सेना की चौकियों ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर सेक्टरों के सामने नियंत्रण रेखा के पार से फायरिंग की थी। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी शुरू की है। यहां पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 निर्दोष लोगों की नृशंस हत्या की थी। इनमें से 25 पर्यटक थे।

पहलगाम हमले से पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने एक भड़काऊ और भारत विरोधी बयान दिया था। ये बयान सुर्खियों में है और इसे बैसरन घाटी में हुए हमले से जोड़कर देखा जा रहा है।

मुनीर ने इस्लामाबाद में 16 अप्रैल को प्रवासी पाकिस्तानियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत के खिलाफ भड़काऊ बातें कही थीं। इसके दो दिन बाद, 18 अप्रैल को, पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के खैगला, रावलकोट में लश्कर-ए-तैयबा के एक नेता ने भारत विरोधी जहरीला भाषण दिया, जिसमें भारतीय सेना द्वारा मारे गए दो आतंकवादियों का बदला लेने की धमकी दी गई। इस बयानबाजी के बाद ही लश्कर के ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) का नाम चर्चा में आया।

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक टीआरएफ, लश्कर-ए-तैयबा का ही एक दूसरा नाम है, जो पाकिस्तान की सैन्य-खुफिया एजेंसी आईएसआई के संरक्षण में काम करता है। यह हमला कोई अकेली घटना नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी ताकि भारत में डर और अस्थिरता फैलाई जा सके।

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Created On :   1 May 2025 8:57 AM IST

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