विज्ञान/प्रौद्योगिकी: नीति निर्माताओं को वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता आरबीआई

नीति निर्माताओं को वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता आरबीआई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जोर देकर कहा है कि सक्रिय सरकारी हस्तक्षेप ने घरेलू तेल कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव को नियंत्रित किया है, लेकिन नीति निर्माताओं को निरंतर मूल्यांकन के माध्यम से वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में आ रही गतिशीलता के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों के प्रति सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि भारत का कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता बढ़ा रहा है।

नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जोर देकर कहा है कि सक्रिय सरकारी हस्तक्षेप ने घरेलू तेल कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव को नियंत्रित किया है, लेकिन नीति निर्माताओं को निरंतर मूल्यांकन के माध्यम से वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में आ रही गतिशीलता के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों के प्रति सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि भारत का कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता बढ़ा रहा है।

आरबीआई ने अपने नए बुलेटिन में 'भारत में तेल मूल्य और मुद्रास्फीति के संबंध पर पुनर्विचार' शीर्षक से प्रकाशित एक पत्र में कहा है कि इस संबंध में, सरकारी नीतियां इस प्रभाव को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

पत्र में ज़ोर देकर कहा गया है, "विशेष रूप से, वैकल्पिक गैर-जीवाश्म ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देकर कच्चे तेल पर निर्भरता कम करने और अनुकूल कीमतों पर तेल आयात के लिए प्रमुख तेल निर्यातकों के साथ क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौतों और द्विपक्षीय संधियों पर विचार किया जा सकता है।"

हाल के वर्षों में, उपभोग वृद्धि और मज़बूत आर्थिक गतिविधियों के कारण भारत में कच्चे तेल की शुद्ध आयात मांग मज़बूत बनी हुई है।

तेल की कीमतें और उनका मुद्रास्फीतिकारी प्रभाव एक प्रमुख मानदंड है जो तेल मूल्य झटकों के प्रति संवेदनशील अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूप से शुद्ध तेल आयातकों, में मौद्रिक नीति निर्माण को संवेदनशील बनाता है, जहां तेल की बढ़ती कीमतें आर्थिक विकास को काफी कम कर सकती हैं और मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ा सकती हैं।

आरबीआई के इस बुलेटिन में कहा गया है, "अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में बदलाव का घरेलू पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ने के साथ अप्रत्यक्ष रूप से परिवहन और इनपुट लागत पर भी इसका प्रभाव देखा जाता है, हालांकि यह प्रभाव कम स्तर पर है क्योंकि टैक्स, सेस और तेल विपणन कंपनियों के विनियमन के माध्यम से सरकारी हस्तक्षेप ने अक्सर इस प्रभाव को कम कर दिया है।"

अनुभवजन्य विश्लेषण के परिणाम बताते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत की वृद्धि भारत की मुख्य मुद्रास्फीति को समसामयिक आधार पर लगभग 20 आधार अंकों तक बढ़ा सकती है।

आरबीआई के दस्तावेज़ में कहा गया है, "हालांकि सक्रिय सरकारी हस्तक्षेप से खुदरा कीमतों पर पड़ने वाला प्रभाव नियंत्रित रहा है, लेकिन कच्चे तेल के आयात पर बढ़ती निर्भरता के दीर्घकालिक परिणाम महंगाई को बढ़ाने वाले हो सकते हैं, जिसके लिए निरंतर सतर्कता और इसके संभावित प्रभाव की सावधानीपूर्वक निगरानी आवश्यक है।"

इस बीच, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में कहा कि भारत तेल आत्मनिर्भरता की दिशा में स्थिर और आत्मविश्वास से भरे कदम उठा रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, देश अपने ऊर्जा भविष्य को कदम दर कदम सुरक्षित कर रहा है।

हालांकि 10 लाख वर्ग किलोमीटर अपतटीय क्षेत्र अब तेल क्षेत्र अन्वेषण के लिए खुला है, वहीं 99 प्रतिशत 'नो-गो' क्षेत्रों को मंजूरी दे दी गई है। ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम (ओएएलपी) के तहत पेश किए जा रहे तेल और गैस ब्लॉकों ने पहले ही वैश्विक और घरेलू ऊर्जा कंपनियों का ध्यान आकर्षित किया है, और इसके अगले दौर से भागीदारी और निवेश के लिए नए मानक स्थापित होने की उम्मीद है।

-आईएएनएस

जीकेटी/

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   24 July 2025 8:02 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story