Bihar Vidhansabha Chunav 2025: चिराग पासवान की बढ़ सकती है मुश्किलें, चाचा पशुपति पारस ने दे दी ये चेतावनी

चिराग पासवान की बढ़ सकती है मुश्किलें, चाचा पशुपति पारस ने दे दी ये चेतावनी
साल 2021 में चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस की आपसी नोक झोक के कारण पार्टी दो हिस्सों में बट गई थी। जिसके चलते चुनाव आयोग ने अक्टूबर 2021 में पार्टी को दो गुटों में बांट दिया था। दोनों गुटों के लिए अलग-अलग नाम और प्रतीक जारी कर दिया।

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार के विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान हो चुका है। लेकिन पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवास के बीज झगड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। इसके बाद से सियासी गलियारों मे हलचल बढ़ गई है। इसी बीच रालोजपा (राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा चिराग पासवान ने पार्टी और परिवार को तोड़ने का काम किया है। इसलिए उनके चाचा विरोध में उतर आए हैं। साथ ही उनके सभी उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार खड़े करने की बात कह रहे हैं।

होगा पुराना हिसाब चुकता?

बता दें कि पारिवारिक कलह के बाद पशुपति पारस एनडीए से अलग होने का फैसला किया था। इस बार वे महागठबंधन में रह कर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। लेकिन उनकी पार्टी रालोजपा को सिर्फ 2-3 सीटें ही मिल सकती है। इस बार चाचा पशुपति पारस भतीजे की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। शायद वे पुराना पारिवारिक हिसाब चुकता करना चाहते हैं। बात यह है कि साल 2021 में चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस की आपसी नोक झोक के कारण पार्टी दो हिस्सों में बट गई थी। जिसके चलते चुनाव आयोग ने अक्टूबर 2021 में पार्टी को दो गुटों में बांट दिया था। दोनों गुटों के लिए अलग-अलग नाम और प्रतीक जारी कर दिया। चिराग का गुट अब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के रूप में दर्ज हैं। और दूसरी तरफ पशुपति गुट ने राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी बनाई। उस समय लोजपा की ओर 6 सांसद गए। और चाचा पशुपति के पास पांच सांसद गए।

रालोजपा एनडीए से क्यों हुई अलग

2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए में शामिल होते हुए भी एक भी सीट नहीं मिली। उनकी पार्टी रालोजपा को पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया गया। लेकिन वहीं पर चिराग की पार्टी को 5 सीटें मिली थी। और उनकी पार्टी लोजपा-आर के पांच प्रत्याशी विजयी हुए थे। जिसमें चिराग पासवान स्वयं भी जीते थे। जिसके बाद से पशुपति कुमार पारस ने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया था। अप्रैल 2025 में उन्होंने कहा कि वह बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए का हिस्सा नहीं हैं।

Created On :   8 Oct 2025 11:14 PM IST

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