जनप्रतिनिधि अपराधिक मामलों से जुड़ा विधेयक: विपक्ष 130वें संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में क्यों? कपिल सिब्बल ने केजरीवाल-सिसोदिया का नाम ले कर रखा पक्ष

विपक्ष 130वें संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में क्यों? कपिल सिब्बल ने केजरीवाल-सिसोदिया का नाम ले कर रखा पक्ष
  • 130वें संविधान संशोधन विधेयक का विरोध जारी
  • सरकार पर हमलावर विपक्ष
  • कपिल सिब्बल ने रखी अपनी राय

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर लगातार नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इस कड़ी में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष सामने रखा है। उन्होंने गुरुवार (21 अगस्त) को मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस बिल के जरिए मानक अधिकारों को छीनने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का उदाहरण दिया। इसके अलावा सांसद ने बिहार में एसआईआर के मुद्दे का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि SIR को लागू कर तो दिया लेकिन वोटर लिस्ट किस तरह से बनाई जा रही है यह सब जानते हैं।

सांसद ने दिया केजरीवाल-सिसोदिया का उदाहरण

कपिल सिब्बल ने कहा कि इस बिल के लागू होने से मानक अधिकारों को वो छीनना चाहते हैं। लोकतंत्र को बर्बाद करना इनका मकसद है। बिहार में इन्होंने किस तरह से SIR लागू किया और किस तरह से वोटर लिस्ट बन रही है। इससे वोटर लिस्ट को दीमक लग जाएगा। तो चुनाव होगा कैसे? इनकी मंशा क्या है? आपको पता है कि अगर किसी पर FIR होती है तो उसे सीधे गिरफ्तार कर लिया जाता है और ये जो नया कानून है अगर किसी को हिरासत में ले लिया जाए तो सालों लग जाते हैं बेल लेने में। केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, हेमंत सोरेन ये सब उदाहरण हैं। तो मैं गृह मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आपके कोई केंद्र के मंत्री के खिलाफ कभी कोई FIR हुई? और जिस प्रदेश में आप सरकारे चला रहे हैं वहां पर किसी मंत्री के खिलाफ FIR हुई? आप ये न समझना कि जनता समझती नहीं है।

क्यों हो रहा विधेयक का विरोध?

सबसे पहले तो यह जानते हैं कि आखिर यह बिल क्या कहता है? दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार (20 अगस्त) को लोकसभा में बिल पेश किया जिसमें हर राज्य के मुखय्मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक, 30 दिनों की हिरासत में रहने पर पद से हटाए जाने की बात कही गई है। अगर अदालत से 30 दिनों के अंदर-अंदर बेल नहीं मिलती तो सीएम या पीएम पद से हटने का प्रावधान है। लेकिन विपक्ष इस बिल के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि एफआईआर होने के बाद सीधे गिरफ्तारी हो जाती है और कई बार बेल मिलने में 1 महीने से भी ज्यादा का समय लगता है।

Created On :   21 Aug 2025 3:30 PM IST

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