म.प्र. में महिला सशक्तिकरण: मां नैना आजीविका स्व-सहायता समूह की सदस्य जयपाली मजदूर से बनीं कपड़ा व्यापारी, हर महीने 15 हजार से ज्यादा की होने लगी कमाई

मां नैना आजीविका स्व-सहायता समूह की सदस्य जयपाली मजदूर से बनीं कपड़ा व्यापारी, हर महीने 15 हजार से ज्यादा की होने लगी कमाई
  • संघर्षों से जूझ रही जयपाली बनीं आत्मनिर्भर
  • मजदूर से बनीं कपड़ा व्यापारी
  • 15 हजार से भी ज्यादा रुपए प्रति माह की कमाई

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार महिलाओं को आर्थिक तौर से मजबूती देकर सशक्त बनाने के काम में जुटी हुई है। ऐसे ही मोयापानी गांव की जयपाली मरकाम की मदद कर उनको आत्मनिर्भर बनाया है। एक समय में पति के साथ मजदूरी करके जैसे तैसे अपना घर चलाने वाली जयपाली अब कपड़ा का व्यापार करती हैं। उस समय उनके पास खाने के पैसे भी नहीं होते थे और कई बार सोने की नौबत आ गई थी। लेकिन मां नैना स्व-सहायता की सदस्य बनकर उनको पहली बार 10 हजार रुपए का लोन मिला, जिससे उन्होंने जनरल स्टोर खोल लिया। इसे का बाद उनको 3 लाख रुपए का लोन मिला तो जयपाली ने इसमें और पैसे मिलाकर कपड़ों की दुकान खोल ली। अब जयपाली कपड़ों का व्यापार करती हैं।

संघर्षों से जूझ रही थीं जयपाली

जयपाली छिंदवाड़ा जिले के घूसावानी ग्राम पंचायत के मोयापानी गांव की रहने वाली हैं। जयपाली मरकाम पति के साथ मजदूरी करके अपना परिवार मुश्किल से चलाती थीं। कई बार ऐसा भी हो जाता था कि उनको भूखे पेट सोना पड़ता था। जिंदगी के बुरे से बुरे दिनों में संघर्ष किया है। लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि जयपाली अब कपड़ा व्यापारी बन चुकी हैं। जयपाली अपने कपड़ा व्यापार से हर महीने 15 हजार रुपए से भी ज्यादा कमा रही हैं। उनके बच्चे अब सरकारी प्री-मेट्रिक होस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। पति की दो बहनों में से बड़ी को जयपाली ने प्राईवेट जॉब में लगवा दिया है और छोटी को ब्यूटी पार्लर का कोर्स करवा रही हैं। जयपाली के सास-ससुर भी साथ रहते हैं। उनके परिवार का पूरा खर्चा उनकी इस कपड़ा दुकान से चल रहा है। जयपाली ने अपने बढ़ते कारोबार के चलते क्षेत्र के सभी हाट बाजारों में अपनी कपड़ा दुकान लगाने के लिये एक ऑटो भी खरीद लिया है। ऑटो चलाने के लिये एक ड्राईवर भी रखा है। जयपाली और उसके पति हाट बाजारों में दुकान लगाने जाते हैं।

कभी नहीं मानी जयपाली ने हार

जयपाली ने कभी हार नहीं मानी। अपने सपनों को हकीकत में बदलने की इच्छा और अपने परिवार को बेहतर जीवन देने की चाह उनके मन में हमेशा से रही है। अपनी दशा सुधारने के लिये जयपाली राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ गईं और वे गांव के "मां नैना आजीविका स्व-सहायता समूह" की सदस्य बन गईं। समूह की बचत से उन्हें पहली बार 10 हजार रुपए का लोन मिला, जिससे उन्होंने किराना दुकान खोल ली। दूसरी बार एक लाख रूपए का लोन मिला, जिससे जनरल स्टोर खोला। तीसरी बार 3 लाख रुपए का लोन मिला, तो जयपाली ने इसमें अपनी जमापूंजी मिलाकर छोटी सी कपड़ों की दुकान खोल ली। शुरुआत में दुकान चलाना एक बड़ी चुनौती थी। फिर भी, उन्होंने अपने व्यापार को लगन से आगे बढ़ाया। जिसके चलते आज अपनी मेहनत और समझदारी से जयपाली हर महीने 15 हजार रुपये कमा रही हैं। अपने बच्चों के लिए भी उन्होंने अच्छी शिक्षा का इंतजाम कर दिया है।

Created On :   31 May 2025 6:16 PM IST

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