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म.प्र. में महिला सशक्तिकरण: मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन ने बदली जिंदगी, आर्थिक तंगी से जूझ रहीं छाया दीदी अब कमाती हैं लाखों, जानें लखपति दीदी की कहानी

- छाया यादव की बदली जिंदगी
- आजीविका मिशन से जुड़ते ही जीवन में खुशहाली
- आर्थिक मजबूती मिलते ही लखपति दीदी की ऊंची उड़ान
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में जुटी हुई है। इसी मकसद को पूरा करने के लिए मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन का बहुत बड़ा हाथ है। मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों और खास कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है ताकि वह भी समाज में खुशी से जीवन जी सकें। मोहन सरकार महिलाओं को स्व-सहायता समूहों से जोड़ कर कमाई करने का अवसर दे रही है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को कृषि, पशुपालन जैसे क्षेत्रों में काम करने का अवसर प्रदान कर रही है जिससे वह अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। एमपी ग्रामीण आजीविका मिशन का लाभ ले कर खरगौन जिले की छाया यादव ने मिसाल कायम कर दी है। एक समय पर आर्थिक तंगी से जूझ रहीं छाया अब हर साल लाखों कमा रही हैं।
एमपी ग्रामीण आजीविका मिशन से मिला लाभ
खरगौन जिले के भीकनगांव विकासखण्ड के ग्राम रेहगांव की छाया यादव का जीवन बदल गया है। एक समय पर उनका परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर था। उन्हें जीवन यापन करने में परेशानी का सामना करना पड़ता था। हालांकि जब से छाया मध्य प्रदेश आजीविका मिशन से जुड़ी हैं उनके हालात बदल गए। अब घर में आर्थिक तंगी का नामो निशान मिट गया है। मिशन से लाभ लेते हुए उन्होंने डेयरी संबंधित कार्य शुरू किया। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने पति सुनील यादव के साथ मिल कर पशु पालन का काम भी शुरू किया। मिशन से न केवल छाया बल्कि पूरे परिवार को लाभ मिला है। उनको आर्थिक रूप से मजबूती मिली है।
छाया बनीं लखपति छाया दीदी
परिवार के साथ पा कर छाया ने सबसे पहले कम दूध देने वाली भैंसों को कम दाम में खरीदा। फिर उन भैंसों की अच्छे से देख-भाल कर के तैयार किया और ज्यादा कीमद में बेचा। इसके बाद डेयरी का काम शुरू करने के लिए छाया ने बैंक से 1,00,000 रुपये का लोन लिया। छाया दूध बेच कर हर महीने 15,000 से 20,000 रुपये कमा रही हैं। इस हिसाब से साल में वह लाखों में कमा रही हैं। यही वजह है कि छाया को अब लोग लखपति छाया दीदी के नाम से जानने लगे।
जैविक खेती की शुरुआत
छाता दीदी ने खुद को सिर्फ पशुपालन तक ही सीमित नहीं रखा। उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग भी करनी शुरू कर दी है। यह कहानी खरगौन जिले के गांव में रहने वाली छाया यादव की कहानी थी कि कैसे उन्होंने अपने परिवार को अच्छा जीवन जीने में अहम भूमिका निभाई। अब वह अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा पर ध्यान दे रही हैं।
Created On :   31 May 2025 12:38 PM IST