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शोपीस बनी 15 करोड़ रुपए की मशीन , ट्रेन में कपड़े ही नहीं दे रहे, तो धुलना बंद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वर्ष 2011-12 में रेल बजट में देश भर में मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री बनाने की घोषणा की गई थी। इसमें नागपुर का भी नाम शामिल था। खुशी का ठिकाना नहीं था। पूरे विदर्भ के लिए महत्वाकांक्षी बताते हुए इसका गुणगान किया गया था। अब स्थिति यह है कि मशीन यहां आकर भी शोपीस बनी हुई है।
रोजाना 40 हजार खर्च
कोरोना संक्रमण के पहले तक नागपुर मंडल की कुल 6 गाड़ियों के बेड रोल रोज निजी लॉन्ड्री के माध्यम से धोए जाते थे। कुल 3 हजार 250 बेडरोल प्रति बेडरोल 12 रुपए कुछ पैसे के अनुसार धुलाई खर्च रोजाना रेलवे को 40 हजार रुपए खर्च सहना पड़ रहा था।
अब यह हवाला
कोरोना के कारण इसे स्थगित कर दिया गया है। चूंकि ट्रेनों में कंबल, चादर नहीं दिए जा रहे हैं, इसलिए जर्मनी से आई मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री के लिए काम ही नहीं बचा है। अधिकारियों के अनुसार, ट्रेनों में जब तक कंबल, चादर देने की प्रक्रिया शुरू नहीं होगी, तब तक इसे इन्स्टॉल करने का कोई मतलब नहीं।
अभी कोई जरूरत नहीं
जर्मनी से मशीन नागपुर पहुंच गई है, लेकिन कोरोना के कारण गाड़ियों में लीनेन बंद होने से इसकी कोई जरूरत नहीं है। ऐसे में अगले आदेश तक मशीन को इंस्टॉल नहीं किया जाएगा। -एस.जी. राव, सहायक वाणिज्य प्रबंधक, मध्य रेलवे नागपुर मंडल
Created On :   25 Feb 2021 1:57 PM IST