15 साल की लड़की से दुष्कर्म मामले में आरोपी की सजा निलंबित, सहमति से बने थे संबंध

15-year-old girl suspended for rape in rape case
15 साल की लड़की से दुष्कर्म मामले में आरोपी की सजा निलंबित, सहमति से बने थे संबंध
15 साल की लड़की से दुष्कर्म मामले में आरोपी की सजा निलंबित, सहमति से बने थे संबंध

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नाबालिग के साथ सहमति से संबंध बनाने का विषय अभी भी अपरिभाषित है। इस विषय को लेकर कानूनी नजरिया साफ नहीं है। यह मत व्यक्त करते हुए करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए गए एक आरोपी की सजा को निलंबित कर दिया है।  इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी की अपील को विचारार्थ मंजूर करते हुए उसे जमानत पर रिहा कर दिया था। 

इस मामले में 19 वर्षीय आरोपी को अपनी 15 वर्षीय चचेरी बहन के साथ दुष्कर्म के मामले में बाल यौन संरक्षण कानून (पाक्सो) व भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत 10 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति एस.के. शिंदे के सामने आरोपी की अपील पर सुनवाई हुई। 

मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि पीड़िता और आरोपी एक ही छत के नीचे रहते थे। पीड़ित कक्षा 8 वी में पढ़ती थी। पीड़िता ने अपने स्कूल टीचर को सबसे पहले इसकी जानकारी दी थी। इसके बाद टीचर की मदद से तीन मार्च 2018 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी। फिर आरोपी को गिरफ्तार किया गया था और  जांच के बाद उसके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ने पीड़िता के बयान पर गौर करने के बाद कहा कि पीड़िता ने अपना बयान बदला है। एक जगह पीड़िता ने कहा है कि टीचर के कहने पर उसने पुलिस को बयान दिया है।  पीड़िता ने कहा है कि आरोपी ने उसकी सहमति से संबंध बनाए थे। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के उद्देश्य से पॉक्सो कानून लाया गया है। वैसे कानून की नजर में नाबालिग की सहमति को वैध नहीं माना जाता है किंतु बाल यौन संरक्षण कानून के तहत नाबालिग के बीच सहमति से बने संबंधों पर कानून का नजरिया अपरिभाषित व साफ नहीं है। निचली अदालत में मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपी जमानत पर था। उसने जमानत की किसी शर्त का उल्लंघन नहीं किया था। इसलिए आरोपी की सजा को  निलंबित किया जाता है जबकि अपील को विचारार्थ मंजूर किया जाता है। यह  कहते हुए न्यायमूर्ति ने आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया। 

Created On :   6 Feb 2021 11:57 AM GMT

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