नागपुर जिले में 1600 ट्रांसजेंडर, बीमार होने पर भी अस्पताल जाने से कतराते हैं

1600 transgenders in Nagpur district shy away from going to hospital even when sick
नागपुर जिले में 1600 ट्रांसजेंडर, बीमार होने पर भी अस्पताल जाने से कतराते हैं
स्वास्थ्य सेवाएं नागपुर जिले में 1600 ट्रांसजेंडर, बीमार होने पर भी अस्पताल जाने से कतराते हैं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर जिले में महिला व पुरुष ट्रांसजेंडरों की संख्या करीब 1600 है, लेकिन किसी बीमारी का लक्षण होने पर भी वे स्वास्थ्य जांच व उपचार करवाने से कतराते हैं। सरकारी अस्पतालों मेें भेदभाव व निजी में भारी भरकम खर्च के चलते वे डॉक्टरों से दूर रहना ही बेहतर मानते हैं। उनके लिए काम करने वाली एक संस्था द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, उन्हें कदम-कदम पर विषमता का सामना करना पड़ता है, जबकि आम लोगों की तरह उनकी भी अनेेक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।

जांच करवाने नहीं जाते
कुछ दिनों पहले शहर के एक अस्पताल द्वारा ट्रांसजेंडरों के स्वास्थ्य की जांच की गई थी। वहां केवल 50 लोग ही पहुंचे थे। उनकें स्वास्थ्य की जांच करने पर शुगर, बीपी के मरीजों का पता चला है। कैंसर की जांच रिपोर्ट अभी मिली नहीं है। सूत्रों के अनुसार, विविध कारणों के चलते ट्रांसजेंडरों में ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, ओरल कैंसर के अलावा एचआईवी, टीबी, गुप्तरोग, मनोरोग समेत अन्य बीमारियों की संभावना होती है। इसके लक्षण दिखाई देने पर यह सीधे डॉक्टर के पास नहीं पहुंचते। संस्था के पास पहुंचने पर उन्हें सरकारी अस्पताल भेजा जाता है। वहां भी एक-दो बार जाने के बाद नियमित उपचार करवाने नहीं जाते। ऐसे में संस्था ने काउंसलर और डॉक्टरों की टीम का सह्योग लेना शुरू किया गया है।

बराबरी का मौका देना जरूरी
भेदभाव के कारण ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य जांच व उपचार करवाने से कतराते हैं। हमारी संस्था ने काउंसलर व डॉक्टरों की टीम तैयार की है। यह टीम ट्रांसजेंडरों को हर तरह की सलाह देती है। उनके अधिकार दिलाने का प्रयास जारी है। उन्हें समाज का हिस्सा मानकर हर क्षेत्र में बराबरी का मौका देना जरूरी है।
-निकुंज जोशी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सारथी ट्रस्ट नागपुर
 

Created On :   22 Nov 2022 4:42 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story