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शेगांव में पार्किंग प्लाजा के बदले जमीन देने के लिए मिलेगा 1.64 करोड़ रुपए का मुआवजा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिए है कि वे बुलढाणा जिले के शेगांव निवासी लक्ष्मीचंद सिंधी, मनोज माटा और रामदास लेकुरवाले को उनकी जमीन के बदले निर्धारित मुआवजा अदा करें । शेगांव में संत गजानन महाराज मंदीर के लिए पार्किंग प्लाजा बनाने हेतू राज्य सरकार ने क्षेत्र में भू-संपदान की कार्रवाई शुरु की है। तीनों याचिकाकर्ताओं की जमीन इसमें जा रही है। ऐसे में उन्होंने भूसंपादन की कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट के बीते आदेशानुसार खामगांव एसडीओ ने गुरुवार को हाईकोर्ट में भूसंपादन और मुआवजे से जुड़ी जानकारी दी।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि नियमों के मुताबिक याचिकाकर्ताओं को रेडीरेक्नर से पांच गुना ज्यादा मुआवजा दिया जा सकता है। इसमें रामदास लेकुरवाले को 1 करोड़ 3 लाख, मनोज माटा को 25 लाख 70 हजार रुपए और लक्ष्मीचंद सिंधी को 35 लाख 95 हजार रुपए का मुआवजा देने के लिए सरकार तैयार है। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने भी इससे संतुष्टी जाहिर की। जिसपर हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए है कि याचिकाकर्ता 15 अक्टूबर तक बिक्री पत्र करेंगे। 31 अक्टूबर तक जमीन खाली करेंगे। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.रवींद्र खापरे और गजानन महाराज संस्था की ओर से एड.अरुण पाटिल ने पक्ष रखा।
शेगांव के विकास पर केंद्रीत है मुद्दा
गजानन महाराज शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में शेगांव के विकास कार्यों के लिए याचिका दायर की गई थी। अन्य तीर्थ क्षेत्रों की तुलना में शेगांव के धीमे विकास को देखते हुए राज्य सरकार ने पेयजल, सड़क व बिजली जैसी सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपए दिए, लेकिन अतिक्रमण के चलते विकास कार्य मंद पड़ गए। न्यायालय ने वर्ष 2010 में मुख्य सचिव को नए सिरे से विकास प्रारूप तैयार करने के निर्देश दिए। इसके बाद भी श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं पर्याप्त नहीं होने को लेकर एक बार फिर न्यायालय ने स्वयं जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद पुनर्वसन से गुजर रहे जमीन मालिकों, अतिक्रमणकारियों और अन्य संबंधित पक्षों ने भी अपनी अपनी याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की थी। इस याचिका में पुर्नवसन, क्षेत्र की समस्याएं, विकासकायों में आने वाली बाधाओं पर प्रकाश डाला गया था। इस पर हाईकोर्ट ने विकासकार्य संबंधी आदेश जारी किए थे। इस विकासकार्य से प्रभावित विविध घटकों द्वारा हाईकोर्ट में समय समय पर याचिकाएं दायर की जा रही है।
कन्हान महामार्ग का निर्माणकार्य 6 माह में पूरा करो, अतिक्रमण है तो हटाओ
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने गुरुवार को राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण (NHAI) को कन्हान से होकर जा रहे राष्ट्रीय महामार्ग क्रमांक 44 का निर्माणकाय 6 माह के भीतर पूर्ण करने के आदेश दिए है। इसी मार्ग पर उप्पलवाड़ी के पास प्रस्तावित रेलवे अंडर ब्रिज के निर्माण के लिए उन्हें कुल 9 माह का समय दिया गया है। दरअसल बीते कुछ दिनों से हाईकोर्ट में जारी विवाद में क्षेत्र में व्याप्त अतिक्रमण के कारण हाईवे की चौड़ाई कम होने का मुद्दा उछल रहा था। चंद्रभान सिंह ने जनहित याचिका दायर कर अतिक्रमण का विरोध किया था। इस मामले में चली लंबी सुनवाई में सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया।
NHAI ने याचिकाकर्ता कि दलील पर जवाब दिया कि चाहे इंडीयन रोड़ कांग्रेस द्वारा महामार्गों की चौड़ाई 45 मीटर निर्धारित की गई हो, मगर जब यह महामार्ग किसी शहर से होकर गुजरते हैं तो चौड़ाई कम की जा सकती है। कन्हान क्षेत्र से महामार्ग का जितना हिस्सा गुजर रहा है, उसे NHAI ने डीनोटीफाय करके राज्य मार्ग घोषित कर दिया है। यह मार्ग अब राज्य सरकार के तहत आएगा, मगर "वन टाईम मेजर" के तहत NHAI इसका निर्माणकार्य जरुर करेगा। मामले में हाईकोर्ट ने NHAI की दलीलें मान्य की। कोर्ट ने यह भी निरिक्षण दिया कि सड़क की चौड़ाई शहरी क्षेत्र में भी 45 मीटर रखने के लिए बेवजह कई मकान और निर्माणकार्य गिराने होंगे, जो उचित नहीं होगा।
अतिक्रमण है या नहीं पता करों
एनएच-7 पर 709/030 से 709/500 के बीच सड़क चौड़ाईकरण का काम चल रहा है। इसी कार्य के तहत कन्हान नदी पर पुल निर्माण का ठेका केसीसी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दिया गया है। महामार्ग के पास सर्विस रोड का निर्माण भी किया जाएगा। फिलहाल वहां पर अतिक्रमण है। अतिक्रमण हटाने के लिए NHAI और नगर परिषद ने प्रयास किए। मगर चंद्रभान सिंह और अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी थी। मामले में गुरुवार को NHAI ने जानकारी दी कि याचिकाकर्ता द्वार जिस अतिक्रमण का जिक्र किया गया है उसकी पड़ताल अभी नहीं की गई है। ऐसे में बताया नहीं जा सकता कि वाकई यह अतिक्रमण है या नहीं। इस पर हाईकोर्ट ने प्रशासन को 15 दिनों के भीतर यहां का निरिक्षण करने के आदेश दिए। अतिक्रमण पाए जाने पर उसे तुरंत गिराने के आदेश जारी किए गए है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.श्रीरंग भंडारकर, NHAI की ओर से एड.अजय घारे और एड.अनिश कठाने, मध्यस्थी अर्जदारों की ओर से एड.अनिल किल्लोर और एड.तुषार मंडलेकर ने पक्ष रखा।
Created On :   27 Sept 2018 9:40 PM IST