महंगा हो सकता है अनाज, कृषि उत्पादन में 19 प्रतिशत की गिरावट

19 % agricultural growth rate falls, cereals may be expensive
महंगा हो सकता है अनाज, कृषि उत्पादन में 19 प्रतिशत की गिरावट
महंगा हो सकता है अनाज, कृषि उत्पादन में 19 प्रतिशत की गिरावट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कृषि विकास दर में पिछले वर्ष की तुलना में महाराष्ट्र में जहां 8.3 फीसदी की कमी दर्ज की गई है, वहीं पूर्व विदर्भ के नागपुर, वर्धा, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर एवं गड़चिरोली जिले में औसतन 19 फीसदी कृषि उत्पादन में गिरावट आई है, इससे अनाजों के दाम बढ़ने की संभावना है। कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इन जिलों में खरीफ के लिए करीब 1000 हेक्टेयर में बुआई नहीं की जा सकी है। वहीं अनियमित बारिश से जूझ रहे किसानों ने जैसे-तैसे अपने खेतों में बुआई की, फिर भी कृषि उत्पादन में करीब 19 फीसदी की कमी आई है। इसके चलते बीते अनेक वर्षों से अच्छे उत्पादन की प्रतीक्षा कर रहे किसानों को इस बार भी निराश होना पड़ा है।

उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य धराशायी
सरकार एवं प्रशासन के तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों की कृषि उत्पादन क्षमता में वृद्धि नहीं हो पा रही है। सरकार की ओर से समय-समय पर कृषि उत्पन्न को दोगुना करने के दावे किए जा रहे हैं। किसानों के कल्याण के लिए सैंकड़ों योजनाएं चलाई जा रही हैं। सब्सिडी एवं अन्य तरह के अनुदान देकर किसानों को हर संभव मदद करने का कार्य जारी है। सिंचन एवं विविध योजनाओं के माध्यम से कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदलने का अथक प्रयास होने के बावजूद नतीजे सकारात्मक नजर नहीं आ रहे हैं। दोगुना उत्पादन बढ़ना तो दूर, बीते वर्ष के मुकाबले उत्पादन के लक्ष्य को भी पूर्ण नहीं किया जा सका है, जिसके चलते सभी प्रयासों के क्रियान्वयन को लेकर अनेक सवाल उठने लगे हैं।

निसर्ग पर निर्भर हैं किसान
पूर्व विदर्भ में बड़ी संख्या में धान, कपास, सोयाबीन व तुअर की फसलें ली जाती हैं। सोयाबीन में मामूली वृद्धि को छोड़ अन्य फसलों में गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण बारिश पर किसानों की निर्भरता है। अनियमित बारिश के कारण जहां फसलों पर विपरीत असर होता है, वहीं सिंचन की सुविधाएं आज भी नाकाफी हैं। बीते वर्ष के मुकाबले में पूर्व विदर्भ में 996 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई कम की गई है। यदि किसी तरह से फसल बेहतर हो भी जाएं, तो अचानक उन फसलों पर विभिन्न कीटकों एवं बीमारियों का प्रकोप छा जाता है। ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान सहते हुए दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है। तमाम कोशिशों के बावजूद फसल उत्पादन में वृद्धि नहीं होने से किसान कर्ज के कुचक्र में फंसने लगता है।

नागपुर संभाग में खरीफ फसल बुआई क्षेत्र (हेक्टेयर में)

फसल          क्षेत्र                2016-17 में बुआई    2017-18 में बुआई
चावल          7343.00        8165.01                 7144.25
ज्वारी            134.00            97.16                     70.25
मक्का             31.00            29.66                     34.40
तुअर           1890.00        1919.80                 1797.36
मूंग              37.00            26.04                     18.99
उड़द               29.00            29.13                     18.42
मूंगफली          32.00            35.72                    31.03
तिल               32.00            22.77                    24.31
सोयाबीन    5535.00         2803.22                2457.70
तिलहन            9.00               1.66                     1.66
कपास        3921.00         6098.10                6633.64
कुल         19103.00       19251.69               18255.67


फसलों की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर - किलो में

फसल             2016-17    वर्ष 2017-18    अंतर

चावल                 2047    1319    728 किलो घटा
सोयाबीन            1045    1157    112 किलो बढ़ा
मूंगफली             1308    1332    24 किलो बढ़ा
मूंग                     368      339    29 किलो घटा
उड़द                    465      396    69 किलो घटा
ज्वारी                  604      599    5 किलो घटा
कपास                 640      470    170 किलो घटा
तुअर                1922     1191    731 किलो घटा

बीते वर्ष के मुकाबले में औसतन 80.99 प्रतिशत उत्पादन हुआ।

Created On :   11 March 2018 4:42 PM IST

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