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संदेह के आधार पर हत्या के 20 आरोपी रिहा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। न्यायालय में अक्सर बयानों में विसंगति को लेकर हत्या के आरोपियों को रिहा कर दिया जाता है, लेकिन ताजा मामले में प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों पर संदेह जताते हुए हाईकोर्ट ने 20 आरोपियों को रिहा कर दिया है। न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति पुष्पा गनेड़ीवाल ने घायल प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों को विश्वसनीय मानने से इनकार कर दिया है।
यह है मामला : 18 मार्च 2014 को होली के दौरान वाशिम निवासी अविनाश चव्हाण के साथ आरोपियों का विवाद हुआ था। विवाद के चलते आरोपी कोमल आडे, जनार्दन राठोड़, दुर्योधन राठोड़ सहित 20 अन्य ने जानलेवा हमला कर अविनाश चव्हाण सहित अन्य तीन रिश्तेदार देवीदास चव्हाण, मुकेश चव्हाण और गणेश चव्हाण को गंभीर घायल कर दिया था। घायल अविनाश चव्हाण की मौत हो गई थी। इस मामले में वाशिम सत्र न्यायालय ने आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस आदेश को आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई में मृतक के रिश्तेदार देवीदास, मुकेश और गणेश की घटना के प्रत्यक्षदर्शी गवाह बनें। लेकिन तीनों के बयान में स्पष्टता और समानता को लेकर हाईकोर्ट ने संदेह जताते हुए सभी 20 आरोपियों को संदेह के लाभ देते हुए रिहा करने का आदेश दिया है। सरकार की ओर से अधि. संजय डोईफाेड़े ने और आरोपियों की पैरवी अधि. राजेन्द्र डागा, अधि. अविनाश गुप्ता, अधि. आर.के. तिवारी ने पैरवी की।
जान बचाने के बजाय घटनाक्रम पर ध्यान कैसे
आरोपियों के जानलेवा हमले में खुद की जान बचाने की जगह प्रत्यक्षदर्शी आरोपियों के मारने और हथियारों को लेकर स्पष्ट जानकारी कैसे दे सकते हैं। हमले से खुद को बचाने के प्रयास में स्पष्ट जानकारी रखना कैसे संभव हो सकता है। न्यायालय ने आरोपियों के वकीलों की दलील को मानते हुए संदेह के आधार सभी आरोपियों को रिहा कर दिया।
Created On :   5 Feb 2022 7:38 PM IST